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घाटी में आतंक और कश्मीरी पंडितों का नरसंहारः यासीन मलिक और बिट्टा को फांसी की सजा नहीं तो न्याय नहीं!

यासीन मलिक और बिट्टा को फांसी की सजा नहीं तो न्याय नहीं

यासीन मलिक आतंकियों और अलगाववादियों का ऐसा पहला सरगना है जिसने अदालत में अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को कबूल कर लिया है। और अब अदालत में अपने कर्मों का पश्चाताप के साथ जिंदगी की भीख मांग रहा है। सभी आरोपों के कबूलनामे के बाद अब उसे सजा सुनाए जाने की बारी है। घाटी में आतंक फैलाने, कश्मीरी पंडितों के नर संहार में शामिल आतंकियों ने भले ही अपने आरोपों को कबूल कर लिया हो, भले ही वो अब प्राणों की भीख मांग रहे हों, अगर अदालत ने इन्हें फांसी की सजा नहीं सुनाई तो घाटी में हुए नरसंहार और कश्मीरी पंडितों के साथ न्याय नहीं होगा।

कश्मीर में युवाओं को भड़काने से लेकर एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या, हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के साथ मुलाकात, तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण में भूमिका ऐसे कई आरोप यासीन मलिक पर लगे। हालांकि इन सब के बावजूद भी वो लंबे समय तक खुला घूमता रहा। यासीन मलिक ने मंगलवार दिल्ली की अदालत में यूएपीएके तहत दर्ज अधिकांश मामलों में अपने सभी आरोप स्वीकार कर लिए। यासीन मलिक को अब सजा मिलनी तय है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में उसने एक अपना नेटवर्क स्थापित कर लिया था। यासीन मलिक यासीन मलिक गुनाहों की फेहरिस्त काफी लंबी है।

यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को यासीन मलिक चुनौती नहीं देना चाहता है।

यासीन मलिक पर लगे आरोपों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश 19 मई को सजा के संबंध में दलीलें सुनेंगे।  

ध्यान रहे, 2013 में यासीन मलिक ने पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा चीफ हाफिज सईद के साथ भूख हड़ताल पर बैठा था। भारत में इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ। विवाद बढ़ने के बाद यासीन मलिक की ओर से कहा गया कि मैं पाकिस्तान निजी कारणों से आया हुआ था। इस बीच अफजल गुरु के फांसी की खबर आई गई। मैंने इस्लामाबाद में प्रेस क्लब के सामने 24 घंटे की भूख हड़ताल का ऐलान किया। भूख हड़ताल के लिए किसी ने दावत नहीं दी थी। उस वक्त बीजेपी की ओर से यासीन मलिक का पासपोर्ट रद्द किए जाने की मांग की गई थी।

यासीन मलिक वही आतंकवादी है जिस पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के बाहरी इलाके रावलपोरा में वायुसेना के 4 अफसरों की हत्या कर दी थी। इस घटना में 40 लोग घायल हुए थे। ये लोग एयरपोर्ट जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे उनपर हमला कर दिया था। यासीन मलिक ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में भी इस बात का जिक्र किया था।

अपहरण का आरोप और पाकिस्तान का कनेक्शन

यासीन मलिक के अलावा अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख, और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इन सभी आतंकियों के आरोप तो इतने संगीन हैं कि इनको फांसी की सजा दी जाए, लेकिन अब यह अदालत पर निर्भर करता है कि उन्हें क्या सजा देता है।