योगी सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। यह फैसला मुस्लिम मदरसों को सरकारी पैसा देने पर रोक लगाने का है। यूपी सरकार अब किसी मदरसे को कोई आर्थिक मदद नहीं देगी। ध्यान रहे, भारत सरकार के कई राज्य न केवल मदरसों को आर्थिक मदद दे रही है बल्कि इमामों को हर महीने सेलरी भी दे रही है। सरकार ये सेलरी जनता से इकट्ठे टैक्स के पैसों से दिए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अगर राज्य सरकारें मदरसों और मस्जिदों के इमामों को सेलरी दे रही है तो गुरुद्वारों में नियुक्त ज्ञानियों और मंदिरों के पुजारियों को भी सरकार की ओर सेलरी दी जानी चाहिए। भारतीय संविधान समानता का अधिकार देता है। इमामों के समान पुजारी-ज्ञानियों को सेलरी न देकर सरकारें उनके साथ अन्याय कर रही है।
फिल्हाल, उत्तर प्रदेश सरकार अब वर्ष 2003तक के आलिया स्तर की स्थाई मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान नहीं देगी। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर लिया गया। सपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2003तक मान्यता प्राप्त 146मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने का निर्णय हुआ था। उसके बाद 100मदरसे अनुदान सूची पर ले भी लिए गए थे।
बाकी बचे 46मदरसों को अनुदान सूची पर लेने से पहले ही सरकार में अर्न्तकलह शुरू हो गई थी, उसके बाद यह 46मदरसे अनुदान पर नहीं लिए जा सके। इनमें से कुछ मदरसों ने अदालत की शरण ले ली। इस वक्त प्रदेश के कुल 560मदरसों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। अनुदान के तहत इन मदरसों के शिक्षकों, कर्मियों का भुगतान किया जाता है।
यूपी बोर्ड 2021के परीक्षाफल निर्धारण की प्रक्रिया को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंगलवार को अनुमति दी गई। यूपी बोर्ड 2021में कोरोना संक्रमण के कारण हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। उस समय सरकार ने लिखित परीक्षा के अंकों का निर्धारण फार्मूला शासनादेश जारी कर तय किया था। सरकार ने वर्ष 2021में हाईस्कूल का रिजल्ट कक्षा 9व कक्षा 10के प्री बोर्ड के 50-50फीसदी अंक और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों को जोड़ कर जारी किया था।