2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि का आरंभ कलश स्थापना से किया जाता है। माता रानी सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि में पृथ्वी पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। मां दुर्गा की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। नवरात्रि का प्रारंभ जिस दिन होता है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती हैय़ इस साल चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी पर हो रहा है। इसी प्रकार से वो जिस दिन विदा होती हैं, उस दिन के आधार पर प्रस्थान की सवारी तय होती है।
दिन के हिसाब से होती है मां की सवारी
सोमवार को मां की सवारी- हाथी।
मंगलवार को मां की सवारी- अश्व यानी घोड़ा।
बुधवार को मां की सवारी- नाव।
गुरूवार को मां की सवारी- डोली।
शुक्रवार को मां की सवारी: डोली।
शनिवार को मां की सवारी: अश्व यानी घोड़ा।
रविवार को मां की सवारी: हाथी।
मां दुर्गा के घोड़े पर आने का प्रचंड संकेत
देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी दुर्गा नवरात्रि पर घोड़े की सवारी करते हुए जब आती हैं तो इसे देश के शासन और सत्ता के लिए अशुभ संकेत के तौर पर देखा जाता है। इस दौरान सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है और सत्ता परिवर्तन के योग बन सकते हैं। साथ ही मां दुर्गा की घोड़े की सवारी देश में आंधी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं आने, गृह युद्ध और सत्ता में उथल-पुथल के संकेत भी देता है। इसलिए मां दुर्गा की पूजा करने के दौरान आपको माता से सभी लोगों को सुरक्षित रखने की भी प्रार्थना जरूर करनी चाहिए। नवरात्रि का समापन बुधवार के दिन हो रहा है। इसके बारे में भी शास्त्रों में लिखा है कि यदि नवरात्रि की समाप्ति बुधवार को हो तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर वापस जाती हैं।