आज विनायक चतुर्थी है। माघ मास की विनायक चतुर्थी मनायी जाती है, जिसे गणेश जयंती भी कहते हैं। गणेश जयंती के दिन जो भक्त विघ्नहर्ता गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं। भगवान गणेश उनको निराश नहीं करते, उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और संकटों को दूर करते हैं। अगर आप इस व्रत को रखते है, तो पूजन में उन्हें बेसन के लड्डू और दूर्वा का भोग जरूर लगाए। सौभाग्य प्राप्ति के लिए गणेश जी को सिंदूर से तिलक करें और उनके मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से भगवान गणेश जरूर प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं-
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: आज सुबह 4 बजकर 39 मिनट से शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त: 5 फरवरी सुबह 3 बजकर 47 मिनट तक
गणेश चतुर्थी पर बन रहा खास योग
गणेश चतुर्थी की शाम 7 बजकर 10 मिनट तक शिव योग रहेगा । शिव योग में किय गये सभी कार्यों में विशेषकर कि मंत्र प्रयोग में सफलता मिलती है । इसके आलावा दोपहर 3 बजकर 58 मिनट तक पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही चतुर्थी तिथि के दिन यानी 4 फरवरी को सुबह 07 बजकर 08 मिनट से दोपहर 03 बजकर 58 मिनट तक रवि योग रहेगा।
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद तिल लड्डू का भोग के अलावा मोदक अर्पित करें। आप चाहे तो गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।