आज माघ मास के गुप्त नवरात्र वरयान योग में आरंभ हो रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है। गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है। पहली गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास में और दूसरी माघ मास में पड़ती है। गुप्त नवरात्रि पर इस साल दो विशेष योग बन रहे हैं। नवरात्र के नौ दिनों में पांच रवियोग और दो सर्वार्थसिद्धि योग के संयोग बन रहे हैं।
गुप्त नवरात्रि 2022 घटस्थापना शुभ मुहूर्त-
कलश स्थापना मुहूर्त : सुबह 06:33 से 09:32 तक
अभिजीत मुहूर्त : पूर्वाह्न 11:25 से 12:35 तक
व्रत विधि
घटस्थापना के दिन स्नान-ध्यान से निवृत होकर पवित्र धारण कर व्रत संकल्प लें। इसके लिए सबसे पहले आमचन करें। इसके पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत आदि से करें। मां को लाल पुष्प अति प्रिय है। अत: मां को लाल पुष्प जरूर भेंट करें। इससे व्रती सभी रोगों से मुक्त रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मां शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करने से घर में सुख-शांति और मंगल का आगमन होता है। माता शैलपुत्री का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
इसके पश्चात मां की आरती कर उनसे परिवार के मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। आप चाहें तो एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि तिथि
2 फरवरी को घटस्थापना और द्वितीया है। इस मां शैलपुत्री और ब्रह्मचारणी की पूजा की जाएगी।
3 फरवरी को तृतीया है। इस दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
4 फरवरी को चतुर्थी है। इस दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
5 फरवरी को पंचमी है। इस दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाएगी।
6 फरवरी को षष्ठी है। इस दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी।
6 फरवरी को सप्तमी है। इस दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी।
7 फरवरी को सप्तमी है। इस दिन मां दुर्गा के काली स्वरूप की पूजा की जाएगी।
8 फरवरी को अष्टमी है। इस दिन मां दुर्गा के महा गौरी स्वरूप की पूजा की जाएगी।
9 फरवरी को नवमी है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाएगी।