आज दोपहर 01:52 बजे से जया एकादशी शुरु हो रही है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। ये दिन श्री हरि को समर्पित होता है। कहते हैं सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन श्री हरि की सच्चे मन से पूजा-भक्ति करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इतना ही नहीं, ये भी मान्यता है कि इस दिन रात्रि के समय जागरण करने से व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। अगर आप भी श्री हरि की कृपा पाने चाहते हैं तो पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और आरती अवश्य करें।
जया एकादशी 2022 की पूजा का मुहूर्त
माघ शुक्ल एकादशी तिथि आज दोपहर 01:52 बजे से शुरु हो रही है, जो कि 12 फरवरी को शाम 04:27 बजे तक रहने वाली है।
ऐसे में जया एकादशी का व्रत 12 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:58 बजे तक है।
जया एकादशी व्रत का खास महत्व
माना जाता है कि जब इंद्रलोक की अप्सरा को श्राप के कारण पिशाच योनि में जन्म लेना पड़ा था, तो इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए उन अप्सपाओं ने जया एकादशी का व्रत किया था। भगवान विष्णु की कृपा से वह सभी पिशाच योनि से मुक्त हो गई थीं और फिर से उनको इंद्रलोक में स्थान प्राप्त हो गया था। खुद भगवान श्री कृष्ण ने भी धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी के पुण्य के बारे में बताया था।
जया एकादशी व्रत पूजा विधि
एकादशी के दिन प्रात: स्नान करके साफ कपड़े पहनें। फिर हाथ में फूल, अक्षत् और जल लेकर जया एकादशी व्रत एवं भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें। अब भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापति कर दें। उनका गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उनको पीले पुष्प, धूप, अक्षत्, सफेद चंदन, हल्दी, दीप, गंध, तुलसी का पत्ता, केला, फल, पान का पत्ता, सुपारी, पंचामृत आदि अर्पित करें। अब भगवान विष्णु को केला, गुड़, चने की दाल, बेसन के लड्डू, मौसमी फल आदि का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम, नारायण स्तोत्र आदि का पाठ करें। उसके बाद जया एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें। आप चाहें तो विष्णु मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
पूजा के अंत में भगवान विष्णु की घी के दीपक या कपूर से विधिपूर्वक आरती करें। फिर भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना व्यक्त करें। फिर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद ब्राह्मणों एवं गरीबों को दान करें। दिनभर फलाहार करते हुए भगवत जागरण करें। इस दिन केला, चावल, बैंगन आदि का सेवन न करें। अगले दिन प्रात:काल स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर पारण करके व्रत को पूरा करें। सूर्योदय के बाद पारण करें। ध्यान रहे कि द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व पारण कर लें।
जया एकादशी के दिन इन कार्यों से करें परहेज
जया एकादशी के दिन फूल, पत्ते आदि का तोड़ना वर्जित हैं। एकदशी पूजन के लिए फूल और तुलसी दल एक दिन पूर्व तोड़कर रखें।
जया एकादशी के दिन दान में मिला हुआ अन्न कभी न ग्रहण करें।
एकादशी व्रत के दिन भोजन में चावल, शलजम, पालक, पान, गाजर जौ आदि खाने से परहेज कारन चाहिए। यदि आपने इसका सेवन किया तो दोष लगता है।
जया एकादशी व्रत रखने वालों को व्रत से पूर्व से तामसिक भोजन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को क्रोध करने से बचना चाहिए। किसी के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचना चाहिए।
जो श्रद्धालु जया एकादशी व्रत रखते हैं वो और उनके परिजनों को व्रत वाले दिन नाखून, बाल दाढ़ी आदि नहीं काटने चाहिए।