खरमास शुरु हो चुका है। खरमास के दौरान शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन समेत बड़े कोई भी शुभ काम करना वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी पड़ जाती है इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी कार्य शुभ फल प्रदान नहीं करता है। 14 दिसंबर को शुरु हुआ खरमास मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन समाप्त हो जाएगा। क्योंकि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मांगलिक और शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।
खरमास के दिनों में करें कुछ खास उपाय
खरमास के दिनों में दान, पुण्य, जप, और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है।
शिवजी के अलावा खरमास में भगवान विष्णु की पूजा भी फलदायी मानी जाती है।
खरमास के महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तांबे के लोटे में जल, रोली या लाल चंदन, शहद लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करना बहुत शुभ फलदायी होता है।
खरमास की पौराणिक कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान भास्कर यानी सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन एक बार भ्रमण के क्रम में जब रथ खींच रहे घोड़े लगातार चलने के कारण थक गए तो घोड़ों की ये हालत सूर्यदेव से देखी नहीं गई. सूर्यदेव का हृदय द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें इस बात का भी एहसास हो गया कि यदि रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा।
तालाब के पास ही दो खर मौजूद थे। सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम के लिए वहीं तालाब के पास छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में चलाने के लिए लगा दिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी रथ रूका तो नहीं लेकिन इस दौरान रथ की गति धीमी हो गई। गधों के सहारे जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा कर पाए. घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया। इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है। इसीलिए हर साल करीब एक महीने खरमास लगता है।