आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत है। हिंदू शास्त्रों में हर पूर्णिमा और अमावस्या का अपना महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा को और भी विशेष माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्यक्ति को मुक्ति दिला सकती है, इसलिए इस पूर्णिमा को शास्त्रों में मोक्षदायिनी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। मान्यता है पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने और उनके सत्यनारायण रूप का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से घर से दुख, दारिद्रय दूर होता है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। चलिए आपको बताते है मार्गशीर्ष पूर्णिमा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, शुभ योग…
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ – 07:24 ए एम, दिसम्बर 18
मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा समाप्त – 10:05 ए एम, दिसम्बर 19
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर भगवान नारायण का मन ही मन में ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। स्नान के समय जल में थोड़ा गंगाजल और तुलसी के पत्ते डालें फिर जल को मस्तक पर लगाकर भगवान को याद कर प्रणाम करें। इसके बाद स्नान करें। पूजा स्थान पर चौक वगैरह बनाकर श्रीहरि की माता लक्ष्मी के साथ वाली तस्वीर स्थापित करें। उन्हें याद करें फिर रोली, चंदन, फूल, फल, प्रसाद, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें। इसके बाद पूजा स्थान पर वेदी बनाएं और हवन के लिए अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद 'ॐ नमो भगवते वासु देवाय नम: स्वाहा इदं वासु देवाय इदं नमम' बोलकर हवन सामग्री से 11, 21, 51, या 108 आहुति दें। हवन खत्म होने के बाद भगवान का ध्यान करें। उनसे अपनी गलती की क्षमायाचना करें।
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