ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु और बुध ग्रह खास ग्रहों में से एक हैं। ये दोनों ही ग्रह वर्तमान समय में वक्री अवस्था में गोचर कर रहे हैं। वक्री से अर्थ ग्रहों की उल्टी चाल से है, यानि ये दोनों ही महत्वपूर्ण ग्रह उल्टी चाल चल रहे हैं। जब कोई भी ग्रह वक्री होता है तो उसके प्रभावों में कमी आ जाती है, वक्री अवस्था में ग्रह को कमजोर माना जाता है। बुध और गुरु वक्री से मार्गी होने जा रहे है। चलिए आपको बताते हैं कि गुरु औ बुध का ये गोचर किन-किन को लाभ पहुंचाएगा।
बुध ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में सौम्य ग्रह माना गया है। बुध को वाणी, संचार, कानून, तर्क शास्त्र, वाणिज्य, लेखन, जर्नलिज्म आदि का कारक माना गया है। पंचांग के अनुसार 27 सितंबर 2021, सोमवार को आश्विन मास की षष्ठी तिथि को प्रात: 10 बजकर 40 मिनट पर बुध वक्री हो गए थे। 18 अक्टूबर 2021 को कन्या राशि में बुध मार्गी होने जा रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र में गुरु को शुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। गुरु को देव गुरु बृहस्पति भी कहा जाता है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु भी बताया गया है। गुरु को संबंध ज्ञान, उच्च पद, उच्च शिक्षा, संतान, विवाह, धर्म, दान आदि से भी है। 20 जून 2021 को कुंभ राशि में गुरु वक्री हुए थे। गुरु 120 दिन बाद अब मकर राशि में मार्गी होने जा रहे हैं। पंचांग के अनुसार 18 अक्टूबर 2021, मंगलवार को वक्री से गुरु मार्गी होने जा रहे हैं।
18 अक्टूबर को बुध और गुरु के मार्गी होने से इन दोनों ग्रहों की शुभता में वृद्धि होगी, जिसका लाभ स्टूडेंट, वकील, लेखक, व्यापारी, अध्यापक आदि को मिल सकता है। इन दोनों ग्रहों के माार्गी होने से सबसे अधिक लाभ छात्र-छात्राओं को मिल सकता है। बुध और गुरु की सीधी चाल से विद्यार्थियों की शिक्षा में सुधार हो सकता है। वहीं जो लोग किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें भी अच्छे फल प्राप्त हो सकते हैं। विद्यार्थियों को लक्ष्य पाने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ेगा। सही ढंग से किया गया परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा। ये दोनों ग्रहों की अशुभता से बचने के लिए गणेश जी और भगवान विष्णु की पूजा करें।