आज पापमोचनी एकादशी है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जैसा कि एकादशी के नाम से ही पता चल रहा है पापमोदनी एकादशी पापों से मुक्त करने वाली एकादशी होती है। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से कष्ट और दुख दूर होते हैं। वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष प्रदान करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने द्वापरयुग में स्वयं इसका महत्व अर्जन को बताया है। इस दिन व्रत रखने और कथा का श्रवण करने से 1000 गौदान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ- आज शाम 06 बजकर 04 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त- 28 मार्च को शाम 04 बजकर 15 मिनट तक
व्रत पारण का समय- 29 मार्च सुबह 06 बजकर 15 से सुबह 08 बजकर 43 तक
पापमोचनी एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
पापमोचनी एकादशी पर करें ये उपाय
मनचाही नौकरी या फिर प्रमोशन के लिए एकादशी के दिन एक कच्चा नारियल और आठ बादाम लेकर भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर चढ़ा दें और अपनी इच्छा जाहिर करें।
सुख-समृद्धि के लिए पापमोचनी एकादशी के दिन श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले फूल चढ़ाएं।
बिजनेस में अपार सफलता पाने के लिए 11 गोमती चक्र और तीन छोटे एकाक्षी नारियल को भगवान विष्णु के मंदिर में चढ़ा दें और विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद पीले रंग के कपड़े में गोमती चक्र बांध लें और इसे ऑफिस के किसी जगह में रख दें।
एकादशी के दिन शाम को भगवत गीता का पाठ करना शुभ होगा। इससे धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है और घर में मां लक्ष्मी का हमेशा वास रहता है।
एकादशी के दिन सुबह भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और रात के समय भगवान के समक्ष नौ बत्तियों का दीपक जलाएं। इसके अलावा एक अन्य दीपक जलाएं और इसे रातभर जलने दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और जातक को धन लाभ होता है।
पापमोचनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद तुलसी की माला से 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय.' मंत्र का जाप करें। इससे घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
पाप मोचनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चैत्ररथ सुंदर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या में लीन थे। एक दिन एक अप्सरा मंजुघोषा वहां से गुजरी। अप्सरा मेधावी को देख मोहित हो गई। अप्सरा ने मेधावी को आकर्षित करने के जतन किए, किंतु उसे सफलता नहीं मिली। अप्सरा उदास होकर बैठ गई। तभी वहां से कामदेव गुजरे। कामदेव अप्सरा की मंशा को समझ गए और उसकी मदद की। जिस कारण मेधावी मंजुघोषा के प्रति आकर्षित हो गए। अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप मिला अप्सरा के इस प्रयास से मेधावी भगवान शिव की तपस्या को भूल गए। कई वर्ष बीत जाने के बाद जब मेधावी को अपनी भूल याद आई तो उन्होने मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया।
मेधावी को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने इस कृत्य के लिए माफी मांगी। अप्सरा की विनती पर मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत के महत्व के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करो। सभी पाप दूर होंगे। अप्सरा ने कहे अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा। विधि पूर्वक व्रत का पारण किया। ऐसा करने से उसके पाप दूर हो गए और उसे पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई। इसके बाद अप्सरा वापिस स्वर्ग लौट गई हो गई। दूसरी तरफ मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से मेधावी भी पाप मुक्त हो गए।