आज पौष अमावस्या है। पौष कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को दर्श अमावस्या और वकुला अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक रूप से इस अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है। माना जाता है कि इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा घर में खुशहाली बनी रहती है। इसके आलावा पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिये अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए।
शुभ मुहूर्त-
पौष, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ – 03:41 ए एम, जनवरी 02
पौष, कृष्ण अमावस्या समाप्त – 12:02 ए एम, जनवरी 03
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अमावस्या पर बन रहा खास योग
पौष अमावस्या पर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। सुबह 6 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर शाम 4 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
इसके साथ ही सुबह 9 बजकर 42 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा। उसके बाद ध्रुव योग लग जायेगा।
अमावस्या पूजा विधि
कोरोना के कारण अगर आप किसी नदी में स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसका भी शुभ फल मिलता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें। अगर आप दूध-चावल की खीर नहीं बना सकते तो इस दिन घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना है और उससे ही पितरों को भोग लगा दें। एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।
पौष अमावस्या के उपाय
ज्योतिषियों का कहना है कि अमावस्या के दिन कालसर्प दोष की पूजा और उपाय किए जाते हैं। कहते हैं कि पौष अमावस्या के दिन चांदी से निर्मित नाग-नागिनी की पूजा कर उन्हें नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
मान्यता है कि अमावस्या के दिन गरीबों और जरुरतमंद लोगों की सहायता करनी चाहिए। अमावस्या के दिन भोजन करना पुण्य का काम माना जाता है। आप भी पौष अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। पौष अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने के बाद सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। इसके बाद उन्हें दान-दक्षिणा भी दें।
इस दिन प्रातः काल पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने से जीवन में व्याप्त सभी परेशानियों का अंत होता है। अगर पवित्र नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद आटे का चारा मछलियों को खिलाएं।