आज रोहिणी व्रत है। जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का काफी महत्व है। रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाने के कारण इसे रोहिणी व्रत कहा जाता है। यह व्रत महिला और पुरुष दोनों के द्वारा किया जाता है। आपको बता दें कि सालभर में 12 रोहिणी व्रत किए जाते हैं। रोहिणी व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने और मार्गशीर्ष नक्षत्र शुरू होने पर किया जाता है। माना जाता है कि रोहिणी व्रत का पालन लगातार 3, 5 या 7 सालों में पूरा किया जाता है। रोहिणी व्रत की उचित अवधि 5 साल 5 माह की है, अवधि पूरे होने पर व्रत का समापन उद्यापन द्वारा किया जाता है।
रोहिणी व्रत 2021 का शुभ समय
सूर्योदय: 6:48 प्रात:
सूर्यास्त: 05:26 सायं
प्रतिपदा शाम 05:04 बजे तक
रोहिणी व्रत का महत्व
जैन समुदाय में ऐसी मान्यता है कि रोहिणी व्रत करने से व्रती को कर्म-बंधन से छुटकारा मिलता है। इस व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है। रोहिणी व्रत से आत्मा का विकार दूर होता है। माना जाता है कि रोहिणी व्रत का पालन करने वाले लोग सभी प्रकार के दुखों और दरिद्रता से छुटकारा पा सकते हैं। रोहिणी नक्षत्र का पारण मार्गशीर्ष नक्षत्र के दौरान किया जाता है।
रोहिणी व्रत 2021 पूजा विधि
सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवर्त होकर साफ कपड़े पहन लें। जैन भगवान वासुपूज्य की मूर्ति के साथ एक वेदी स्थापित करें। फूल, धूप अर्पित करें। इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। पूजा और व्रत के दौरान की जाने-अनजाने की गई गलतियों की क्षमा मांगें। आपको बता दें कि रोहिणी नक्षत्र के आकाश में प्रकट होने के बाद व्रत का पालन करें। मार्गशीर्ष नक्षत्र के आकाश में उदय होने पर ही व्रत का पारण किया जाता है। व्रत के दौरान गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान अवश्य दें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।