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Sankashti Chaturthi 2021: भगवान गणेश को करना है प्रसन्न तो नियम के मुताबिक की करें व्रत, सभी कामों में मिलेगी सफलता

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आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत है। मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष में आने वाली इस चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता का वरदान मिला हुआ है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश को याद किया जाता है। भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। मान्यता है, संकष्टी चतुर्थी के दिन अगर भगवान गणेश की विधि विधान पूजा की जाए तो गणपति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त

विघ्नराज संकष्टी प्रारम्भ तिथि- प्रातः काल 12 बजकर 56 मिनट, 23 नवंबर, मंगलवार से शुरु होकर

विघ्नराज संकष्टी समापन तिथि- प्रातः काल 3 बजकर 25 मिनट, 24 नवंबर, बुधवार तक है। 

 

संकष्टी चतुर्थी व्रत के नियम

संकष्टी चतुर्थी के​ दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

इसके बाद घर में पूजा स्थल की साफ सफाई करें और भगवान गणेश जी के सामने व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद गणेश जी की पूजा करें और उनकी मूर्ति के सामने धूप-दीप प्रज्जविलत करें. व्रत के दौरान 'ऊॅं गणेशाय नमः' मंत्र का जाप करें।

संकष्टी चतुर्थी के दिन चावल, गेहूं और दाल का सेवन करना निषेध माना जाता है और इसलिए इस दिन गलती से भी इन तीन चीजों का सेवन न करें।

इस व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

घर में केवल सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए. इस दिन भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

व्रत के दिन क्रोध पर काबू रखना चाहिए और किसी के लिए भी अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।

संकष्टी च​तुर्थी का व्रत विधि-विधान से करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को सुखमय जीवन का आशीर्वाद देते हैं।