ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को विशेष ग्रह माना गया है। शनि किसी एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं। इस वक्त शनि मकर राशि में गोचर की अवस्था में हैं। 29 अप्रैल को शनि देव राशि परिवर्तन करेंगे और 5 जून को वक्री हो जाएंगे। इसके बाद शनि देव 140 दिन तक उल्टी चाल में रहेंगे और 23 अक्टूबर को मार्गी हो जाएंगे। ऐसे में शनि की वक्री चाल साढ़ेसाती या ढैय्या वालों पर प्रभाव डालेगी। चलिए आपको बताते है कि इन पांच राशियों के बारे में…
कुंभ- 29 अप्रैल को कुंभ राशि में शनि का गोचर होगा। इसके बाद शनि वक्रा अवस्था में चले जाएंगे। ऐसे में कुंभ राशि वालों को अधिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। शनि वक्रा के दौरान वाद-विवाद से बचकर रहना होगा। साथ ही कोई भी फैसला सोच-समझकर लेना होगा।
मकर- शनि वक्री की अवधि में इस राशि को लोगों के भी संकट बढ़ सकते हैं। साथ ही करियर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। नौकरी-रोजगार में भी अड़चने आ सकती हैं। शनि वक्री के दौरान गुस्से पर नियंत्रण रखना होगा।
वृश्चिक- शनि वक्री की अवधि में इस राशि के लोग ढैय्या के दौर से गुजर रहे होंगे। ऐसे शारीरिक कष्ट बढ़ सकता है। शनि जब भी वक्री होते हैं तो ढैय्या से पीड़ित जातकों का कष्ट बढ़ जाता है। ऐसे में इस दौरान सावधानी बरतने की जरुरत है। साथ ही दुश्मन परेशान कर सकते हैं। इसके अलावा कार्यस्थल पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
कर्क- शनि की वक्री के दौरान कर्क राशि पर शनि की ढैय्या चल रही होगी। ऐसे में इस राशि के लोगों को इस दौरान थोड़ी सावधानी रखने की जरुरत है। शनि वक्री के दौरान कार्यों में रुकावट आएगी। साथ ही आर्थिक स्थिति में भी परिवर्तन हो सकता है। इसके अलावा वाहन चलाते वक्त विशेष सावधान रहने की जरुरत होगी।
शनि साढ़ेसाती या ढैय्या के उपाय- शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार को शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा करें। साथ ही वहां सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद शनि देव के मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नम:" का 108 बार जाप करें। मान्यता है ऐसा करने से शनि परेशान नहीं करते।