आज मासिक स्कन्द षष्ठी है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय की आरधना की जाती है। भगवान स्कन्द को मुरुगन, कार्तिकेयन, सुब्रमण्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिकेय के पूजन से रोग, दुःख और दरिद्रता का अंत होता है। स्कन्द षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है। चलिए आपको बताते है कि स्कन्द षष्ठी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि-
स्कन्द षष्ठी मुहूर्त
षष्ठी तिथि आरंभ: 7 जनवरी, शुक्रवार, प्रातः 11:10 मिनट से
षष्ठी तिथि समाप्त: 8 जनवरी, शनिवार प्रातः 10:42 मिनट पर
स्कन्द षष्ठी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी हैं तथा दक्षिण दिशा में उनका निवास स्थान है। इसीलिए जिन जातकों की कुंडली में कर्क राशि अर्थात नीच का मंगल होता है, उन्हें मंगल को मजबूत करने तथा मंगल के शुभ फल पाने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए। क्योंकि स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को प्रिय होने से इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। भगवान कार्तिकेय को चम्पा के फूल पसंद होने के कारण ही इस दिन को स्कन्द षष्ठी के अलावा चम्पा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंद षष्ठी पूजन विधि
आज स्कंद षष्ठी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति बनाएं। मूर्ति बनाने के लिये कहीं साफ स्थान से मिट्टी लाकर उसे छानकर, साफ करके किसी पात्र में रखकर पानी से सान लें। कुछ लोग मिट्टी सानते समय उसमें घी भी मिला लेते हैं। अब इस मिट्टी का पिंड बनाकर उसके ऊपर 16 बार 'बम्' शब्द का उच्चारण करें। शास्त्रों में 'बम्' को सुधाबीज, यानि अमृत बीज कहा जाता है। 'बम्' के उच्चारण से यह मिट्टी अमृतमय हो जाती है। अब उस मिट्टी से कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनानी चाहिए।
इसके बाद कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें। फिर सबसे पहले गणेश वंदना करें। अगर संभव हो तो अखंड ज्योत जलाएं, सुबह शाम दीपक जरूर जलाएं। इसके उपरांत भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं। पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं। मान्यता है इस दिन विशेष कार्य की सिद्धि के लिए की गई पूजा फलदायी होती है।
स्कंद षष्ठी के दिन भूलकर भी न करें ये काम-
आज के दिन तिल का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर संभव हो तो आज रात के समय भूमि पर सोना चाहिए। आज भूमि पर शयन करने से स्वास्थ्य सबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय के मंदिरों के दर्शन करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।