आज सोम प्रदोष व्रत है। सोमवार के दिन पड़े वाले प्रदोष व्रत का अधिक महत्व होता है। सोम प्रदोष व्रत हर माह के शुक्ल और कृष्ण की त्रयोदशी को रखा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के प्रभाव से चंद्रमा शुभ फल देता है। सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की सच्चे मन से अराधना करने वाले जातकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में सोम प्रदोष व्रत बेहद शुभ माना जता है और इस दिन व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से ग्रहों के दोष भी दूर होते हैं।
ग्रह दोष दूर करने के उपाय-
पौराणिक कथा अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की कृपा से सभी तरह के ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। एक बार श्राप के कारण चंद्र देव को कुष्ठ रोग हो गया था, तो उन्होंने भगवान शिव की पूजा की और अपने कठोर तपस्या से शिवजी को प्रसन्न कर लिया, जिससे उनके कुष्ठ रोग दूर हो गए। इस दिन के बाद से ही प्रदोष व्रत रखा जाने लगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से कुंडली में चल रहा चंद्र दोष, शनि और राहु ग्रह के दोष भी दूर हो जाते हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिवजी की पूजा करते समय ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप जरूर करें।
सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2022-
त्रयोदशी तिथि प्रात: 05:42 मिनट बजे से शुरु हो रही है, जो 01 मार्च को प्रात: 03:16 बजे तक है।
सोम प्रदोष के दिन शाम में 06:20 बजे से रात 08:49 बजे के मध्य प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त है।
सोम प्रदोष व्रत के उपाय
कर्जा बढ़ रहा है, धन नहीं आ रहा है। व्यापार में लाभ नहीं मिल रहा है या आपके जीवन में कोई समस्या बहुत प्रबल है, आप एग्जाम में बैठ रहे हैं और वो आप नहीं निकाल पा रहे हैं, आपने परीक्षा दे दी है और उसका रिजल्ट घोषित होने वाला है। तो भी आप प्रदोष काल में प्रदोष के समय व्रत रखकर नियमपूर्वक बाबा भोलेनाथ की उपासना करें। तो आपके सभी काम पूर्ण हो सकते हैं। जब-जब जिस भी महीने में प्रदोष व्रत हो तब-तब ही कलश के अंदर थोड़ा सा पानी लेकर एक बेलपत्र, हरा मूंग, शमी पत्र उसमें डालकर और उसमें थोड़ा सा गुड़ डालकर प्रदोष काल में शिवलिंग पर समर्पित कर दें और इस उपाय का आप दो या तीन प्रदोष करोगे तो बाबा भोलेनाथ आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी कर देंगे।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान की सफाई कर लें। फिर व्रत एवं शिव पूजन का संकल्प कर लें। यदि आप प्रात:काल में पूजा करना चाहते हैं, तो सुबह 07:02 बजे से करें क्योंकि इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग लग जाएगा। यदि प्रदोष काल में पूजा करनी है तो सुबह में दैनिक पूजा कर लें। शाम को पूजा करनी है तो दिनभर फलाहार करें, भगवान शिव की भक्ति में समय व्यतीत करें। शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की तस्वीर घर पर स्थापित कर लें या शिव मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें। सबसे पहले गंगाजल और गाय के दूध से शिव जी का अभिषेक करें। फिर उनको अक्षत्, बेलपत्र, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, भस्म, शहद, शक्कर, सफेद फूल, फल आदि ओम नम: शिवाय मंत्र जाप के साथ अर्पित करें।
इसके पश्चात शिव जी को धूप, दीप, गंधा आदि अर्पित करें। फिर शिव चालीसा और सोम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। आप चाहें तो किसी शिव मंत्र का जाप 108 बार कर सकते हैं। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें। भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त कर उनसे क्षमा प्रार्थना कर लें। फिर प्रसाद वितरण करें। व्रत में दान करने का महत्व होता है, इसलिए आप किसी ब्राह्मण या गरीब को दान की वस्तुएं निकाल कर अलग रख दें। सुबह में उसे दे दें। दान के बाद अगले दिन प्रात: स्नान और पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें। कुछ लोग व्रत वाले दिन ही रात में पूजा के बाद पारण कर लेते हैं। यदि आपके यहां ऐसा है, तो वैसे ही करें। शिव मंदिर में पूजा करते हैं तो शिव परिवार के साथ गण नंदी की भी पूजा करें। नंदी भगवान शिव के सबसे प्रिय गण हैं।