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दुनिया के पहले इंजीनियर Vishwakarma की पूजा आज ही क्यों, क्या है शुभ मुहूर्त?

Vishwakarma Puja 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) की जाती है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि जब सृष्टि की रचना हुई थी उस समय इसे  सजाने-सवांरने का काम भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja) ने ही किया था। भगवान विष्णु को ब्रह्मा जी का पुत्र कहा जाता है। भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पी, निर्माण और सृजन के देवता माने जाते हैं। आज के दिन औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा जी ने ही स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था। वहीं श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और भोलेनाथ के लिए त्रिशूल भी भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja) ने ही बनाया था। साथ ही सतयुग का स्वर्गलोक, त्रेता की लंका और द्वापर युग की द्वारका की रचना भी भगवान विश्वकर्मा ने ही की थी। इस खास वजह से भगवान विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

सुबह का मुहूर्त – 07.39 AM – 09.11 AM (17 सितंबर 2022)
दोपहर का मुहूर्त – 01.48 PM – 03.20 PM (17 सितंबर 2022)
तीसरा मुहूर्त – 03.20 PM – 04.52 PM (17 सितंबर 2022)

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विश्वकर्मा की पूजा विधि

सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
पूजा में हल्दी, अक्षत, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, दीप और रक्षासूत्र शामिल करें।
पूजा में घर में रखा लोहे का सामान और मशीनों को शामिल करें।
पूजा करने वाली चीजों पर हल्दी और चावल लगाएं।
इसके बाद पूजा में रखे कलश को हल्दी लगा कर रक्षासूत्र बांधे।
इसके बाद पूजा शुरु करें और मंत्रों का उच्चारण करते रहें।
पूजा खत्म होने के बाद लोगों में प्रसाद बांट दें।

भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र

भगवान विश्वकर्मा की पूजा में ‘ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:’, ‘ॐ अनन्तम नम:’, ‘पृथिव्यै नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला से जप करना अच्छा रहता है।