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Vivah Panchami 2021: विवाह पंचमी आज, इस तरह करें भगवान राम और सीता की पूजा, शादी संबंधित परेशानियां होगी दूर

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आज विवाह पंचमी है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता हैं। हिंदू शास्त्रों में विवाह पंचमी की विशेष महत्व है। प्रथा है कि इस दिन पुरुषोत्तम श्रीराम का विवाह माता सीता से हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम और मां सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा, यज्ञ या विशेष अनुष्ठान करने से विवाह में आ रही सारी अड़चनें समाप्त हो जाती है। चलिए आपको बताते है कि विवाह पंचमी से जुड़ी जानकारियां

 

विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष तिथि आरभं : 07दिसंबर रात 11.40मिनट से।

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त : 08दिसंबर रात 09.25मिनट तक।

 

पूजन की विधि

इस दिन भक्तजन भगवान राम और माता सीता की पूजा करते हैं। नेपाल जैसे राज्यों में विवाह पंचमी पर वि शेष पूजा आयोजित की जाती है।

विवाह पंचमी पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा की चौकी तैयार करें।

चौकी पर एक कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें।

राम और सीता की मूर्तियां स्थापित कर उन्हें दूल्हे और दुल्हन की तरह तैयार करें।

फल, फूल व अन्य पूजा सामग्री के साथ दोनों देवताओं की पूजा आराधना करें।

जो भक्त घर में पूजा नहीं करना चाहते हैं वे मंदिर में जाकर भी कर सकते हैं।

 

भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा का दिन

जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हो या फिर विलंब हो रहा हो उन्हें विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए और विधि-विधान के साथ भगवान राम और माता सीता का पूजन करना चाहिए। इसी के साथ प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न करवाना चाहिए। पूजन के दौरान अपने मन में मनोकामना कहनी चाहिए। मान्यता है कि इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं साथ ही सुयोग्य जीवन साथी की प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती है।

 

विवाह पंचमी का महत्व

मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रभु श्रीराम और माता जनकनंदिनी की पूजा करने से सारी बाधाएं दूर होती हैं। कुंवारी लड़कियों को माता सीता की पूजा करनी चाहिए। इससे उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इस दिन घर में पूजा-पाठ और हवन करने से दांपत्य जीवन में सुख आता है। वह परिवार में शांति और प्रेम की वृद्धि होती है।

 

रामचरितमानस पाठ करना है शुभ

शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष की पंचमी को ही गोस्वामी तुलसीदासजी ने अति दिव्य ग्रंथ रामचरितमानस पूर्ण की थी, साथ ही रामजी और सीताजी का विवाह भी इसी दिन हुआ था इसलिए विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभकारी है।