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भारत जोड़ो यात्रा से सामने आया साउथ में ईसाई कन्वर्जन का सुपर हिट धंधा

Bharat Jodo Yatra से साउथ में क्रिश्चियन कन्वर्जन का पर्दाफाश!

भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान  शिव भक्त शाण्डिल्य गोत्र और ब्राह्मण बता कोट के ऊपर जनेऊ पहनने वाले राहुल गांधी को ‘भगवान है या नहीं’ जानने के लिए मिला तो तमिलनाडु का एक ऐसा पादरी जो हेट स्पीच में जेल जा चुका है। जिसने ईसाई धर्म को लज्जित किया है। राहुल गांधी, उनकी मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका वाड्रा तो अक्सर श्री शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी के दरबार में जाते रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) शुरू करने से पहले राहुल गांधी ने शंकराचार्य से आज्ञा ली…वोट यात्रा से पहले तो सोनिया भी शंकराचार्य का आशीर्वाद लेने जाती हैं। भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) से पहले भी तो किसी का आशीर्वाद जरूरी नहीं था?

पादरी ही क्यों, सनातन धर्माचार्य क्यों नहीं!

शंकराचार्य स्वरूपानंद जी वेद-पुराणों के मर्मज्ञ हैं। वो हिंदी-अंग्रेजी और संस्कृत धाराप्रवाह बोलते हैं लेकिन ईश्वर-प्रकृति, द्वैत-अद्वैत के भेद को अच्छी तरह राहुल गांधी को बता सकते हैं। शंकराचार्य जी ईसा मसीह के इतिहास को भी जानते हैं और कहते हैं कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के नाम स्मरण से ही कुबुद्धि का नाश हो जाता है तो फिर  राहुल गांधी को भगवान की भगवत्ता और शक्ति के प्रवाह को जानने के लिए एक दुष्ट बुद्धि पादरी के पास जाने की क्या जरूरत थी?

दुष्टबुद्धि पादरी ने की ईसा मसीह की अवमानना 

उस कथित पादरी को दुष्ट बुद्धि कहने का पर्याय यह है कि ईसा मसीह ने दूसरे धर्म या संप्रदाय के बारे में अभद्र और असत्य टिप्पणी करने का संदेश कभी नहीं दिया। जो ईसा मसीह के शिक्षा और सिद्धांतों की अवमानना करता हो वो पादरी कैसे है-यही एक विवादास्पद विषय है।

त्रिपुण्ड लगाकर उज्जैन में महाकाल की पूजा करने वाले (अ)ज्ञानी राहुल गांधी 

उज्जैन के महाकाल मंदिर में त्रिपुण्ड लगाकर रुद्राभिषेक करने वाले राहुल गांधी को अपनी इस कथित भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान भगवान कौन है? शक्ति क्या है? यह सब जानने की जरूरत क्या थी? क्या राहुल गांधी, केरल, तमिलनाडु आंध्र प्रदेश के ईसाई जनसमुदाय में इस छद्म धर्म ज्ञान के सहारे पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं?

साउथ के सरल स्वभाव के सनातनियों का छल-छद्म से धर्मपरिवर्तन

दक्षिण के राज्यों में कुछ ईसाई मिशनरीज (ईसा मसीह की शिक्षाओं के विपरीत) भोले-भाले गरीब समुदायों को भ्रमित करते हैं। हारी-बीमारी की स्थिति में पेन किलर और स्टेरॉयड बांट कर ईसा मसीह का कथित चमत्कार दिखाते हैं और फिर बनवासियों को ईसाई बना देते हैं। राहुल गांधी तो संसाधनविहीन बनवासी नहीं हैं? हारी-बीमारी के हालात में उनका उनके परिवार का इलाज एम्स, गंगाराम, लंदन और अमेरिका के महंगे अस्पतालों में होता है!

शिव और शक्ति के बारे में दिग्गी ही बता देते दुष्टबुद्धि पादरी की जरूरत क्यों

कॉंग्रेस या यूं कहें कि खुद की रिलॉचिंग के लिए भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के लिए सड़क पर उतरे राहुल गांधी को शिव और शक्ति के बारे में तो दिग्विजय सिंह भी बता सकते थे। दिग्विजय सिंह ने पूरी नर्मदा परिक्रमा पांव-पाव चलकर की है। ‘ब्रेकफास्ट’ की टेबल पर दुष्टबुद्धि पादरी से ज्यादा ज्ञान तो राघवगढ़ के राजा दे सकते थे।

फिर फिसले राहुल गांधी और रंगे हाथ पकड़े गए 

दरअसल, कॉंग्रेस के बहाने एक बार फिर खुद को रिलॉंच करने निकले राहुल गांधी से गलती हो गई और वो रंगे हाथ पकड़े भी गए। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra), भारत तोड़ो यात्रा में परिवर्तित होती दिख रही है। राहुल गांधी के साथ चल रहे ‘राष्टभक्तों’ ने दुष्टबुद्धि पादरी के साथ ब्रेकफास्ट टेबल पर शिव शक्ति और ईसा मसीह पर हुए ‘शास्त्रार्थ’ को रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। ऐसा कहा जा रहा है कि राहुल गांधी की रिलॉंच यात्रा का ताना-बाना दिग्गी राजा ने नहीं बल्कि जयराम रमेश ने बुना है। जयराम रमेश भी अपना सिर पीट रहे हैं।

ग्रैंड फादर फिरोज गांधी को क्यों भूले हुए हैं राहुल गांधी!

वैसे कांग्रेसियों को मालूम ही होगा कि राहुल गांधी के पितामह (ग्रैंड फादर) फिरोज गांधी की पुण्यतिथि 8 सितंबर को होती है। रिलॉंच यात्रा के शुभारंभ से ठीक एक दिन बाद यह तारीख थी। जयराम रमेश ने अगर राहुल गांधी को यह सलाह दी होती कि भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान पितामह को भी श्रद्धांजलि अर्पित करें तो ज्यादा जनसमर्थन मिल सकता था। वैसे अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। पितृपक्ष चल रहा है।

पितरों का श्राद्ध करने से मंदबुद्धि भी बुद्धिमान हो जाते हैं

पितृपक्ष की अमावस्या को हर किसी भूले बिसरे का श्राद्ध किया जा सकता है। भारतीय सनातन शास्त्रों के अनुसार पितरों का श्राद्ध करने से मंदबुद्धि भी बुद्धिमान हो जाते हैं। श्राद्ध से पितृ प्रसन्न होते हैं और ईश्वर से सायुज्जय में सहयोग करते हैं। पितृ प्रसन्न हुए तो दुष्टपादरी की संगत से राहुल गांधी को हुए आत्मिक-अध्यात्मिक पराभव से भी मुक्ति दिला सकते हैं।

कांग्रेस अपने पितरों को याद करें, श्रद्धांजलि दे

हिंदू सनातन ग्रंथों में कहा जाता है कि कम से कम तीन पीढ़ियां तो पूर्वजों याद रखती ही हैं। वैसे सात कुछ 21 पीढ़ी तो कुछ ऋषिकुल तक पूर्वजों को स्मरण करने का विधान बताते हैं। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी अपने दादा फिरोजगांधी को भूल गए हैं। जय राम रमेश और दिग्विजय सिंह को चाहिए कि वो राहुल गांधी को अपने पितामह का स्मरण कराएं, उनका श्राद्ध करवाएं।

बात मान लो, एक तीर है और कई निशाने

इससे एक तीर से कई निशाने लगेंगे! सनातनी हिंदुओं वोट बैंक में लगे ‘डैंट’ को थोड़ा बहुत ठीक किया जा सकता है। फिरोज गांधी को भुला दिए जाने का आरोप धुल जाएगा और सांप्रदाइक सद्भाव की मिसाल भी कायम होगी। यह तो पुराने कांग्रेसी जानते ही होंगे कि फिरोज गांधी ने राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी से शादी से पहले ही हिंदू धर्म में परावर्तन कर लिया था।

दिल्ली के निगम बोध घाट पर हुआ था फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार

फिरोज गांधी की इच्छा के मुताबिक 9 सितंबर 1960 को दिल्ली निगम बोध घाट पर हिंदू विधि-विधान के अनुसार उनका अंतिम संस्कार हुआ था। प्रयागराज संगम में फिरोज गांधी का अस्थियों के एक अंश का विसर्जन खुद जवाहर लाल नेहरू ने किया था। फिरोज गांधी की अस्थियों का एक अंश प्रयागराज के पारसी कब्रिस्तान और बाकी अस्थियां सूरत में उनके पुश्तैनी कब्रगाह में दफ्न की गई हैं।

भारत जोड़ो यात्रा से पहले अपने भूले-बिसरों को जोड़ो

राहुल गांधी के सलाहकारों की रिसर्च और होमवर्क कमजोर है। कथित भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) की बजाए ‘घर-परिवार के भूले-बिसरों को जोड़ो अभियान’ चलाया जाता तो राहुल गांधी को व्यक्तिगत स्तर पर और कांग्रेस को पार्टी के तौर पर ज्यादा फायदा होता।

छल-छद्म से साउथ के सरल सनातनियों को बनाया जा रहा है ईसाई

बहरहाल, कथित भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) से एक बड़ा खुलासा हो गया है कि जिस तरह से ‘सरल बुद्धि राहुल गांधी’ को एक दुष्टबुद्धि पादरी ब्रेकफास्ट टेबल पर बैठे-बैठे कुछ सेकंड्स में ही प्रभावित कर लेता है तो फिर जंगलों में रहने वाले लोग तो और भी वास्तव में सरल और सीधे-सच्चे होते हैं। उन्हें प्रभावित करना और छल-छद्म के जरिए सनातन से मतांतर कर ईसाई बनाना तो बहुत आसान है।

…इस तरह तो भारत टूट रहा है दिग्विजय सिंह! जय राम रमेश, इस तरह तो भारत अपनी जड़ों से कटता जा रहा है!

‘राहुल गांधी और राहुल गांधी के सलाहकारों, दिग्गी-विग्गी और जय राम रमेशो’ सनातन भारत की जड़ें काटो मत, भारत की जड़ों को मजबूत करो।

भारत की जडों से जुड़ने की कोशिश करते रहोगे तो भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) स्वयं सिद्ध होती रहेगी।

(सनातन देवी-देवताओं को अवमानित-अपमानित करने वाले पादरी को ‘दुष्टबुद्धि पादरी’ सम्बोधन है। सत्य-धर्मनिष्ठ ईसाई- ईसाई धर्मगुरुओं से इसका कोई संबंध नहीं है)