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Cross Border Love Story : नफ़रत और असहिष्णुता के बीच सीमा हैदर की दास्तान-ए-मोहब्बत

एक रोमांचक थ्रिलर में बदल गयी है सीमा हैदर और सचिन मीना की प्रेम कहानी (फ़ोटो: ट्विटर)

Cross Border Love Story :अभी तीन सप्ताह ही बीते हैं, और इन कुछ ही दिनों में पाकिस्तान में इस्लामवादियों ने ईसाइयों पर बमबारी की धमकी दे दी है, अहमदिया मस्जिदों को क्षतिग्रस्त कर दिया है, सिखों पर हमले कर दिए हैं, शिया मुसलमानों को मार डाला है और ताज़ा घटनाक्रम यह है कि हिंदुओं को धमकी दी जा रही हैं।

तो,सवाल है कि इस पाक ज़मीन में असहिष्णु लोगों की  इस नवीनतम उत्तेजना की वजह क्या है?

इसके पीछे की वजह दरअस्ल सीमा हैदर की प्रेम कहानी है। एक ऐसी साहसी महिला की प्रेम कहानी, जिसने भारत में अपने साथी सचिन मीना के साथ रहने के लिए कराची में अपने ज़ुल्मी पति से किनारा कर अपनी ज़िंदगी की दुस्साहसिक कहानी लिख दी है। सीमा की यह परी कथा PUBG से शुरू हुई थी, जहां उसे सचिन से प्यार हो गया था। वह दुबई चली आयी, काठमांडू गयी और मीना से शादी करने के लिए अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर लिया।

पाकिस्तान में कट्टरपंथी एक पाकिस्तानी मुस्लिम महिला को किसी भारतीय हिंदू पुरुष से शादी करने और अपना धर्म बदलने से नाराज़ हैं। लेखिका, कार्यकर्ता और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की पोती फ़ातिमा भुट्टो की तरह अंतर्धार्मिक प्रेम की ऐसी कुछ कहानियां ज़रूर हैं, जो बंद दिमाग़ों को खोल सकती हैं।

पाकिस्तान के चरमपंथी 13 साल की हिंदू लड़कियों का अपहरण करने, उनका धर्म परिवर्तन करने और बूढ़े मुस्लिम पुरुषों से उनकी जबरन शादी कराने में सहज हैं। वे पूरे परिवारों को हिंदू और ईसाई धर्म से इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए हिंसा और ज़ोर-जबरदस्ती के इस्तेमाल से संतुष्ट हैं। कई वर्षों से छद्म रूप से चल रहे इस व्यापक चलन के बारे में संयुक्त राष्ट्र ने इस साल कम से कम दो बार पाकिस्तानी सरकार को इस  बारे में बताया है।

पितृसत्ता के आरामदायक दायरे के बाहर अपने ही किसी को प्यार में पड़ते देखकर चरमपंथियों को अंदर तक हिलाकर रख दिया है।

सीमा की कहानी ने अल्पसंख्यकों के प्रति नफ़रत और भय पर बनी 75 साल पुरानी इमारत को ध्वस्त कर दिया है। धार्मिक रूपांतरण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का प्रतिशत 1947 में 23 प्रतिशत से घटकर 2016 तक मात्र तीन प्रतिशत रह गया है और लगातार गिर रहा है।

हालांकि, सीमा के खुले व्यक्तित्व और पाकिस्तान से शानदार पलायन ने भारत में हिंदू समूहों के बीच साजिश के सिद्धांतों को जन्म दे दिया है, इससे इस्लामवादियों के बीच एक हिंसक प्रतिक्रिया भी पैदा हुई है।

पाकिस्तानी पत्रकार दिलीप कुमार खत्री ने रविवार को ट्वीट किया था कि लुटेरों के एक गिरोह ने शनिवार रात हिंदू बागरी समुदाय के घरों पर रॉकेट से हमला कर दिया और अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। यह घटना पाकिस्तान में डकैतों द्वारा सीमा हैदर के पाकिस्तान और अपने मूल धर्म में वापस नहीं लौटने पर हिंदुओं के साथ बलात्कार करने और मंदिरों पर हमला करने की धमकी देने के कुछ दिनों बाद हुई थी। इस्लामी डकैतों द्वारा हिंदू महिलाओं के खिलाफ धमकियों से भरे वीडियो पोस्ट किए जाने के बाद भयभीत हिंदुओं ने मंदिर जाना बंद कर दिया है।

भारत के भीतर भी सीमा हैदर, अपने चार बच्चे और सचिन, जो अब उनके पति हैं, अपने गांव की सीमा में इस्लामवादियों से सुरक्षित नहीं हैं, जो उनकी आस्था के त्याग दिये जाने से नाराज महसूस करते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब सीमा और सचिन को कट्टरपंथियों के संभावित हमलों से बचाने के लिए सुरक्षा तैनात कर दी है।

कराची स्थित सीमा के घर और ग्रेटर नोएडा स्थित मीना के घर से दूर मुंबई में पुलिस को 2008 के मुंबई हमलों की पुनरावृत्ति के प्रति सतर्क किया जा रहा है। फोन करने वाले ने एक विदेशी देश से फोन किया था और उर्दू में बात की थी।उसने सीमा के पाकिस्तान नहीं लौटने पर आतंकवादी हमले की चेतावनी दी है।

भारतीय मुसलमानों के बीच बढ़ते कट्टरपंथ का मतलब है कि जहां हिंदू महिलाओं के इस्लाम में धर्मांतरण पर कार्रवाई की जाती है और जश्न मनाया जाता है, वहीं इसके विपरीत कार्रवाई हिंसा और हत्याओं के रूप में की जाती है। मुस्लिम महिलाओं से शादी करने या उनसे प्यार करने के कारण कई हिंदू पुरुषों को पीट-पीट कर या चाकू गोंदकर हत्या कर दी गयी है।

पाकिस्तान का आर्थिक महाशक्ति-सिंध जितना ही अपने फलते-फूलते व्यवसायों के लिए जाना जाता है, उतना ही हिंदू और ईसाई धर्म की कम उम्र की लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के लिए भी जाना जाता है।

नाबालिग़ लड़कियों का अपहरण, अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार और जबरन विवाह एक ऐसी महामारी बन चुकी है, जिसे देश के अभिजात वर्ग द्वारा मौन स्वीकृति दी मिल गयी है,इसमें न केवल राजनेता, बल्कि मानवाधिकार रक्षक भी शामिल हैं।

पाकिस्तानी अभिजात वर्ग में से बहुत कम, चाहे मानवाधिकार रक्षक हों या जबरन गायब किए जाने का विरोध करने वाली नारीवादी,सबने 11 वर्षीय हिंदू लड़कियों के 50 वर्षीय मुस्लिम पुरुषों के साथ जघन्य बलात्कार, धर्मांतरण और विवाह की निंदा की है। समय-समय पर बहुत मुखर रहने वाला पाकिस्तानी मीडिया भी शायद ही इस मुद्दे पर बहस की हो।

बंदूक की नोक पर अल्पसंख्यकों के धर्म परिवर्तन का जनता के बीच जश्न मनाया जाता है। मियां मिट्ठू जैसे अपराधियों को राजनीतिक नेताओं द्वारा सम्मानित किया जाता है और अल्पसंख्यक लड़कियों को इस्लाम में सक्रिय रूप से परिवर्तित करने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा उन्हें उच्च सुरक्षा दी जाती है।

सीमा-सचिन की प्रेम कहानी पर चली तीखी बहस भी पाकिस्तानी जनता को अपने गिरेबां में झांकने को मजबूर नहीं कर पायी है। पाकिस्तानी लोग अब भी इस बात पर चर्चा नहीं कर रहे हैं कि हर दिन तीन से चार हिंदू और ईसाई स्कूली लड़कियों का अपहरण कर उन्हें इस्लाम में क्यों धर्मांतरित किया जा रहा है। पाकिस्तानी जनता इस बात पर चर्चा नहीं कर रही है कि पुलिस पीड़ित परिवारों को धर्मांतरण के लिए क्यों डराती और मजबूर करती है, अदालतें कम उम्र की अल्पसंख्यक लड़कियों को वयस्क क्यों घोषित करती हैं और न्यायाधीश अल्पसंख्यक लड़कियों को बलात्कारियों को क्यों सौंप देते हैं।

सीमा हैदर मामले ने पाकिस्तान में गहरी जड़ें जमा चुकी इस प्रतिगामी विचारधाराओं के इस दोहरेपन- महिलाओं पर नियंत्रण और हिंदुओं का धर्मांतरण को उजागर कर दिया है । अल्पसंख्यकों और पितृसत्ता के प्रति असहिष्णुता पाकिस्तानी मानस में इतनी गहराई तक समा गयी है कि महिलाओं से धर्म के बारे में सवाल किया जाता है, जबकि अन्य को धर्मनिरपेक्ष चलन के लिए डांट पिलायी जाती है।

इस्लाम में धर्मांतरण की इस सनक ने सिखों और हिंदुओं को उनके पाकिस्तानी घरों से भारत की ओर धकेलने के अभियान को बढ़ावा दिया है। ग़ैर-मुसलमानों को धर्मांतरित करने की होड़ ने अफगानिस्तान में बौद्धों, हिंदुओं और सिखों को खत्म कर दिया है। वही बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति नफरत चरम स्तर पर पहुंच रही है।

सीमा हैदर पाकिस्तानी समाज को आईना दिखा रही हैं। उन्होंने दिखाया है कि आस्था-आधारित धर्मांतरण एकतरफा रास्ता नहीं है और मुस्लिम महिलायें भी निडर होकर अपने प्यार का इजहार कर सकती हैं। संदेह करने वाले और बहस करने वाले भारतीयों के लिए उनका संदेश यही है कि एक सीमा पार प्रेम कहानी को अंतर-धार्मिक सद्भाव के संदेश और जबरन धर्मांतरण पर बहस को मोड़ने के लिए समर्थन दिया जा सकता है।