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Eurasia Group की फोरकास्ट से पाकिस्तान हलकान, 2032 तक भारत ग्लोबल पॉवर

2032 तक भारत बनेगा विश्वगुरु, ग्लोबल साउथ को लीड करेगा

यूरेशिया ग्रुप (Eurasia Group) के चेयरमैन इयान ब्रेमर ने द इकोनॉमिस्ट में इंडिया को ग्लोबल लीडर क्यों कहा और भारत आईएमएफ के आंकलन से 5 साल पहले दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत कैसे बना? पाकिस्तान में आजकल इन मुद्दों की बहुत चर्चा है। इस चर्चा में खिसियाहट और जलन ज्यादा दिखाई दे रही है। पाकिस्तानियों यह नहीं पच ही नहीं रहा है कि भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। ब्रिटेन को पछाड़ कर भारत की इकोनॉमी 2022 में पाचंवे पायदान पर कैसे पहुंच गया? आईएमएफ ने तो कहा था कि भारत 2027 में पांचवी बड़ी आर्थिक ताकत बन सकता है। आईएमएफ के आंकलन से भी पांच साल पहले ही ब्रिटेन जैसी अर्थव्यवस्था को कैसे धकेल दिया। 11 साल पहले 10वें पायदान था भारत। अचानक पांचवे पायदान पर कैसे आ गया। यूरेशिया ग्रुप (Eurasia Group) इंडिया के को ग्लोबल पॉवर की शक्ल में क्यों देख रहा है। यूरेशिया ग्रुप  (Eurasia Group)  कुछ साल पहले तक भारत की आर्थिक ताकत के बारे में दो शब्द भी नहीं लिखते थे।

भारत से ईर्ष्या तो वेस्टर्न मीडिया को भी है

अब से पहले वेस्टर्न मीडिया के कलम की स्याही पूर्व में चीन पर आकर खत्म हो जाती थी। अब संपादकीय और विशेष लेखों में भारत का जिक्र किया जाने लगा है। अब इंडिया के बारे में एक दो पैराग्राफ ही नहीं पूरे-पूरे लेख समर्पित हो रहे हैं। हालांकि, इंडिया की प्रोग्रेस से जलन, चिढ़न और ईर्ष्या पश्चिमी मीडिया में भी है लेकिन वो एक व्यावसायिक प्रतिद्वंदियों वाली जलन-चिढन और ईर्ष्या ज्यादा लगती है, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया में ‘दुश्मनी’ वाला पुट है।

अब्दुल बासित – ISI का बैकयार्ड मैटेरियल

पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक हैं, अब्दुल बासित। जी, आपने सही सुना अब्दुल बासित। भारत में पाकिस्तानी राजूदत (उच्चायुक्त) थे। भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त कम आईएसआई के एजेंट के तौर पर ज्यादा काम कर रहे थे। भारत सरकार ने उनकी हरकतों से आजिज आ कर लगभग निष्कासित किया था। अब्दुल बासित की हरकतें इतनी घटिया थीं कि भारत से निकाले जाने के बाद खुद पाकिस्तान सरकार उन्हें किसी अन्य देश में राजदूत तैनात करने लायक नहीं बची। हालांकि, इमरान खान के पाकिस्तान के पीएम बनने के बाद अब्दुल बासित को उम्मीद थी कि उन्हें फिर से नौकरी मिल जाएगी। मगर ऐसा न हो सका। हार कर अब्दुल बासित ने आईएसआई के बैक यार्ड में पड़े रहने में ही अपनी खुशकिस्मती समझी। वो किताबें लिखने और वीलॉग में व्यस्त रहते हैं। उनके ज्यादातर वीलॉग भारत को कोसने, गालियां देने और दुश्मनी भरी खुन्नस निकालने वाले होते हैं।

भारत की तरक्की पच नहीं रही

अब्दुल वासित ने यूरेशिया ग्रुप (Eurasia Group) के चेयरमैन इयान ब्रेमर के लेख के बारे में कुछ नहीं कहा है मगर भारत पर अपनी ‘खुन्नस’ निकालने के लिए कश्मीर का एंगल निकाल लेते हैं। या यह कहिए कि वो अब्दुल बासित बात किसी भी छोर से करें लेकिन उनकी सुई कश्मीर पर जाकर अटक जाती है। 4 सितंबर को भी अब्दुल बासित ने एक वीलॉग किया। इस वीलॉग की शुरुआत उन्होंने भारत को भारत की अवाम को ‘मुबारकबाद’ से ही की गई, लेकिन वो तुरंत अपने रंग में आ गए। बासित कहने लगे कि ये आकंड़ों की जादूगिरी है। आंकड़ों में भारत पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन भारतीयों की परकैपिटा इनकम ब्रिटेन से काफी कम है।

5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी vs परकैपिटा इनकम

भारत की परकैपिटा इनकम ढाई से तीन हजार डॉलर है जबकि ब्रिटेन की परकैपिटा इनकम 42 हजार डॉलर है। चीन की परकैपिटा इनकम 12 हजार डॉलर है। बासित को भारत की यह तरक्की बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आबादी ब्रिटेन की आबादी से 20 गुना ज्यादा है। भारत में मिलियंस ऑफ मिलियंस गुरबत में जी रहे हैं। भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर ब्रिटेन के मुकाबले बहुत कम है। भारत की एजूकेशन ब्रिटेन के मुकाबले कमजोर है। भारत में बेरोजगारी और बीमारी ब्रिटेन के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। बासित यह बताना चाहते थे पांचवी अर्थव्यवस्था छलावा है। अगर भारत असलियत में पांचवी आर्थिक ताकत बनना चाहता है तो कश्मीर के तनाजे (समस्या) का हल करना होगा। भारत को चीन के साथ एलएसी पर समझौता करना होगा। उनका यह भी कहना था कि इंडिया में टैलेंट तो क्या हुआ, पाकिस्तान में भी टैलेंट भरा पड़ा है। पाकिस्तान के टैलेंट को भारत आगे नहीं आने देता। पाकिस्तान में जो भी समस्याएं हैं उसके पीछे भारत है।

पाक-चीन से समझौता, खामख्वाह

एक मजेदार बात अब्दुल बासित ने और कही, वो यह कि इंडिया पांचवी आर्थिक ताकत बन कर कुछ खास नहीं कर सकता। अगर इंडिया कुछ हासिल करना चाहता है तो चीन और पाकिस्तान के साथ समझौता करना ही पड़ेगा। अब्दुल बासित पर हिंदी के दो कहाबत फिट होती हैं। आपको जो अच्छा लगे उससे काम चला लेना। पहला है आंखों के अंधे और नाम नयनसुख दूसरी है खिसियानी बिल्ली खम्भा नौंचे। ‘आंखों के अंधे’ अब्दुल बासित को गुलाम कश्मीर (पीओके) और गिलगिट बालटिस्तान में धधक रही बगावत की ज्वाला दिखाई नहीं दे रही। अब्दुल बासित को भारत के हिस्से वाले कश्मीर तरक्की और अपन पसंदगी नजर नहीं आ रही है। भारत ने आर्थिक जगत में अहम मुकाम हासिल किया है तो अब्दुल बासित की हालत खिसियानी बिल्ली जैसी भी है। भारत की तरक्की बर्दाश्त नहीं हो रही है। इसलिए 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाम ‘परकैपिटा इनकम’ को सामने ला रहे हैं।

भारत को पहले हमलावर मुसलमान कौमों ने लूटा, फिर अंग्रेजों ने

अब्दुल बासित को अच्छी तरह से मालूम है कि भारत को पहले बर्बर-धोखेबाज मुस्लिम हमलावरों ने कितना लूटा। उसके बाद अंग्रेजों ने भारत की दौलत लूटी और इंग्लैण्ड का खजाना भरा। आज भी ब्रिटेन के खजाने का 80 फीसदी हिस्स में भारत से लूट कर ले जाई गई दौलत है। अब्दुल बासित मश्विरा देते हैं कि पाकिस्तान को साथ लिए बिना भारत की तरक्की अधूरी है। अब्दुल बासित को यह सवाल उठाने से पहले यह सोचना चाहिए कि पाकिस्तान को भारत ने अलग नहीं किया था। सेपरेट इस्लामिक नेशन के तौर पर पाकिस्तान बनाने वाले उनके कायद-ए-आजम मुहम्मद अली जिन्नाह और अब्दुल बासित के बाप-दादे थे जिन्होंने सेपरेट पाकिस्तान बनाने के जनमत संग्रह के पक्ष में वोटिंग की थी। एक बार अलग हो ही गए हो तो अब साथ चलने की वकालत क्यों करते हो अब्दुल बासित?

अब्दुल बासित, आपको पता ही होगा न कि आपके कायद-ए-आजम पोर्क पसंद थे। क्या कहते हैं इस्लामिक कानून में ऐसे शख्स को, ‘मुनाफिक’ यही न। आज कहते हैं कि भारत, पाकिस्तान को साथ लेकर चले तो खिब्ते की सूरत बदल जाएगी। शर्म करो अब्दुल बासित!

2032 का वर्ल्ड ऑर्डर क्या होगा

पाकिस्तान में एक और चर्चा है ‘द इकोनॉमिस्ट’ जैसे मीडिया में यूरेशिया ग्रुप (Eurasia Group) के फाउंडर चेयरमैन इयान ब्रेमर के विशेष आलेख की। जिसमें उन्होंने बताया है कि 2032 में वर्ल्ड ऑर्डर क्या होगा। इयान ब्रेमर अपने इस लेख के पहले वाक्य में ही कहते हैं कि 21वीं सदी के संघर्ष को देखें तो यह ईस्ट और वेस्ट का संघर्ष दिखाई देता है लेकिन अगले दस सालों में वेस्टर्न वर्ल्ड को ग्लोबल साउथ से सबसे ज्यादा खतरे और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

ग्लोबल साउथ के 145 देशों का लीडर होगा भारत 

अपने लेख को समाप्त करने ऐन पहले इयान ब्रेमर कहते हैं कि इस ग्लोबल साउथ का लीडर  भारत होगा। ग्लोबल साउथ में उन्होंने एशिया, अफ्रीका, लेटिन अमेरिका और पैसेफिक को शामिल किया है। यूरेशिया ग्रुप (Eurasia Group)  के चेयरमैन इयान ब्रेमर का यह लेख पढ़ा या देखा होगा वो उनका आश्य समझ चुके ही होंगे। आर्थिक-सामरिक और रणनीतिक फलक पर भारत के बढ़ते कदमों से इयान ब्रेमर की ईर्ष्या भी सभी ने देखी होगी। इयान ब्रेमर की पीड़ा समझी जा सकती है। मगर पाकिस्तानियों को दर्द क्यों हो रहा है? पाकिस्तानियों की पीड़ा यह है कि ‘द इकोनॉमिस्ट’ जैसे मीडिया में ईयान ब्रेमर ने भारत को ग्लोबल साउथ लीडर बता कैसे दिया? आपको पता ही होगा अकेले एशिया रीजन में 48 देश हैं। पाकिस्तान भी शामिल है इसमें। अफ्रीकन रीजन में 54, लैटिन अमेरिका के 20 और पैसिफिक रीजन में 23 देश हैं। इयान ब्रेमर के तथ्यों को सही माना जाए तो भारत कुल मिलाकर 145 देशों का लीडर होगा। वो भी महज 10 साल के भीतर।

अब्दुल बासित हों या कोई और पाकिस्तान अब यह बात उनका दिल और दीमाग कैसे कबूल कर सकता है।