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मिर्च को लेकर खुलासा,तीखी होने के बावजूद 6 हजार साल पहले से खा रहे हैं लोग

जानिए मिर्च का इतिहास

Chili History: खाने में लाल और हरी दोनों तरह की मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि मिर्च का तीखापन आपके खाने को स्वादिष्ट बनाता है। मिर्च चाहे लाल हो या हरी ज्यादातर सभी तरह की मिर्च का स्वाद तीखा होता है। इतना तीखा कि इसे खाने से मुंह में होने लगती है और आंखों में आंसू आ जाते हैं। कभी कभी तो ज्यादा मिर्च खाने के बाद पेट में भी जलन महसूस होने लगती है। कई बार तो मिर्च (Chili) में को चाकू से काटनेभर से ही हाथों में जलन होने लगती है। इसके बाद आप चाहे कितनी ही देर हाथ को पानी में डाल लें, लेकिन जलन आसानी से शांत नहीं होती। क्या आपने कभी सोचा है कि मिर्च इतनी तीखी क्यों होती है और पानी पीने से इसका तीखापन शांत क्यों नहीं होता ? यहां जानिए इसके बारे में…

मिर्च और तीखापन पर शोध बहुविषयक विज्ञान का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। पिछले दशकों में कई शोधकर्ताओं ने इस सबसे अनोखी और वांछनीय मौखिक संवेदना के बारे में विशिष्ट जानकारी प्रदान की है। अगर इसके इतिहास की बात करें तो वर्ष 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस के नयी दुनिया की तलाश तक मिर्च दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए अज्ञात थी। कई मूल सिद्धांतों ने दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों को ‘‘उस’’ स्थान के रूप में चिह्नित किया जहां से मिर्च आई थी। एक फाईलोजेनेटिक विश्लेषण में पाया गया कि उनका संबंध पश्चिमी से उत्तर-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के एंडीज के साथ एक क्षेत्र से है। ये पुरानी मिर्च जंगली ‘‘छोटे लाल, गोल, बेरी जैसे फल’’ थे।

16वीं सदी में पहले यूरोप पहुंची मिर्च

इंसानों के भोजन का हिस्सा बनने का सबसे पहला प्रमाण मेक्सिको या उत्तरी मध्य अमेरिका में 6,000 साल पहले का है। 16वीं शताब्दी में मिर्च यूरोप पहुंची। वर्तमान में, मिर्च की पांच घरेलू प्रजातियां हैं। खायी जाने वाली प्रजातियों में कैप्सिकम एनम, सी चिनेंस, सी फ्रूटसेन्स, सी बैकाटम और सी प्यूब्सेंस हैं। सबसे अधिक किस्मों वाली प्रजाति सी. एन्युम है, जिसमें न्यू मैक्सिकन जलपीनो और बेल मिर्च शामिल हैं।

इसलिए तीखी होती है मिर्च

मिर्च (Chili) में कैप्साइसिन नामक कंपाउंड होता है जो इसके तीखेपन के लिए जिम्‍मेदार होता है।कैप्साइसिन मिर्च के बीच वाले हिस्से में होता है, जो इसे तीखा और गर्म प्रकृति का बनाता है। साथ ही इसे फफूंद से बचाता है। कैप्साइसिन जीभ और त्वचा पर पाई जाने वाली नसों पर अपना असर छोड़ता है। साथ ही कैप्साइसिन खून में सब्‍सटेंस पी नामक केमिकल रिलीज करता है, जो दिमाग में जलन और गर्मी का सिग्‍नल देता है। यही वजह है कि मिर्च को खाने के बाद या स्किन पर मिर्च लगने से व्यक्ति को जलन और गर्मी का अहसास होता है।

सभी मिर्च समान नहीं होती

आप जो मिर्च (Chili) खा रहे हैं उसके हिसाब से तीखापन अलग-अलग होता है। फार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल ने 1912 में मिर्च के तीखेपन को मापने के लिए एक पैमाना बनाया। स्कोविल हीट यूनिट्स (एसएचयू) में मापा गया यह पैमाना मिर्च खाने वाले लोगों द्वारा अनुभव की जाने वाली कैप्साइसिनोइड संवेदनशीलता पर आधारित है। मानक स्कोविल पैमाने पर कैरोलिना मिर्च (एसएचयू जीरो के साथ) सबसे नीचे है। जलपीनो मिर्च 2,500 से 10,000 तक कहीं भी हो सकती है। तुलनात्मक रूप से, टबैस्को मिर्च 25,000 से 50,000 इकाइयों के बीच होती है, और हैबनेरोस मिर्च 100,000 से 350,000 के बीच होती है। दुनिया की सबसे तीखी मिर्च कैरोलिना रीपर का तीखापन 22 लाख यूनिट तक हो सकता है।