चीन (China) ने हाल ही में साइंस की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यहां चीन ने अपने स्पेस स्टेशन ‘तियांगोंग’ बना डाला है। मालूम हो, कई चरणों में हुआ चीन के स्पेस स्टेशन का काम अब पूरा हो गया है। इस स्पेस स्टेशन में चीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी रहने लगे हैं। हाल ही में तीन अंतरिक्ष यात्री चीन के स्पेस स्टेशन तियांगोंग (Tiangong space station) पहुंचे हैं। 55 मीटर लंबे इस स्पेस स्टेशन के तीन हिस्सों को अलग-अलग भेजा गया और उन्हें असेंबल करके यह स्पेस स्टेशन तैयार किया गया। इस स्पेस स्टेशन में छह अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। चीन अब ऐसा इकलौता देश बन गया है जिसने अकेले अपने दम पर कोई स्पेस स्टेशन तैयार किया है। इससे पहले अमेरिका और रूस ने कई देशों के साथ मिलकर स्पेस स्टेशन तैयार किया था।
पूरी तरह चीन में निर्मित है यह अंतरिक्ष स्टेशन
इस साल 29 नवंबर को चीन के गोबी डेजर्ट से शेंजू-15 मिशन शुरू हुआ था। इस मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री भेजे गए थे। 6 घंटे बाद ये अंतरिक्ष यात्री चीन के स्पेस स्टेशन तियांगोंग पहुंच गए। मंडारिन भाषा में ‘तियांगोंग’ का अर्थ ‘स्वर्ग का महल’ होता है। इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए तीन अंतरिक्ष यात्री वहां पहले से मौजूद टीम की जगह लेंगे, जिसने स्टेशन के निर्माण में मदद की है। इस मिशन के सफल होने के साथ ही, चीन अपना स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन चलाने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया है। इससे पहले, अमेरिका और रूस ऐसा कारनामा कर चुके हैं।
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चीन ने खुद तैयार किया पूरा स्पेस स्टेशन
इंटरनेशल स्पेस स्टेशन पहले से काम कर रहा है। हालांकि, अमेरिका की अगुवाई में इसका संचालन कई देश मिलकर करते हैं। चीन का तियांगोंग स्पेस स्टेशन पूरी तरह से चीन का है और इसमें किसी दूसरे देश की कोई हिस्सेदारी नहीं है। चीन ने इस स्पेस स्टेशन का काम लगभग 3 दशकों में पूरा किया है। यह स्पेस स्टेशन 180 फीट (55 मीटर) लंबा है,इसमें तीन मॉड्यूल शामिल हैं जिन्हें अलग से लॉन्च करने के बाद अंतरिक्ष में जोड़ा गया था। इनमें एक कोर ‘मॉड्यूल’ शामिल है जहां अधिकतम छह अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। इसके अलावा 3,884 क्यूबिक फुट (110 क्यूबिक मीटर) के दो मॉड्यूल हैं।
बताते चले चीनी अंतरिक्ष स्टेशन 15 साल तक कक्षा में रह सकता है। इस स्पेस स्टेशन पर हर साल छह-छह महीने के लिए मैनेजमेंट टीम और कार्गो मिशन भेजने की योजना है। स्टेशन में वैज्ञानिक परीक्षण पहले ही शुरू हो चुके हैं। इसकी शुरुआत स्पेस स्टेशन के जैविक परीक्षण कैबिनेट में, बंदर प्रजनन से जुड़े एक योजनाबद्ध अध्ययन से हुई है।