पिछले महीने की बात जब वैज्ञानिकों का एक समूह दक्षिण-पश्चिम चीन में डांगु ग्लेशियर की चोटी के पास पास बर्फ से गुजर रहा था तो हवा बहुत धीरे चाल रही थी। समुद्र तल से लगभग 4500 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद ग्लेशियर में बहते पानी की आवाज को छोड़कर सब कुछ शांत था और उनके पैरों के ठीक नीचे बहता पानी बर्फ के पिघलने की लगातार याद दिला रहा था। वहीं जब वैज्ञानिकों की टीम ऊपर की ओर बढ़ रही थी उनके ऑक्सीजन के सिलेंडर खाली हो रहे थे। साथ ही मौजूद कुली सफेद कपड़ों के मोटे रोल लेकर साथ-साथ चल रहे थे। वैज्ञानिकों ने उन चादरों को पहाड़ के 4300 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्रों में फैलाने की योजना बनाई है। इसका मकसद ग्लेशियर को तेजी से पिघलने से बचाना है।
ग्लेशियर पर स्पेशल चादर बिछाई?
ग्लेशियर पर बिछाई जा रही सफेद चादर कोई साधारण कपड़े का टुकड़ा नहीं था। इसे खासतौर पर सूर्य की किरणों को वापस वायुमंडल की तरफ रिफ्लेक्ट करने, ग्लेशियर को गर्मी से प्रभावी ढंग से बचाने और इसकी कुछ बर्फ को संरक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। दशकों से डांगू ग्लेशियर अपने आस-पास रहने वाले लोगों के लिए पानी का एक बड़ा स्रोत साबित हुआ है। ग्लेशियर का पिघला हुआ पानी पीने का पानी प्रदान करता है और बिजली उत्पादन में भी मदद करता है। इससे 2000 लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन, ग्लेशियर के तेजी से पिघलने से न केवल ग्लोबल वॉर्मिंग का असर साफ दिख रहा है, बल्कि इन हजारों लोगों के जीवन पर भी संकट बढ़ रहा है।
वैज्ञानिकों ने किया ग्लेशियर को बचाने का दावा
चीनी वैज्ञानिकों ने यह दावा है कि उनका यह काम डांगु ग्लेशियर को बचा लेगा। पिछली आधी सदी में ग्लेशियर पहले ही अपनी 70% से अधिक बर्फ खो चुका है। इस टीम में काम कर एक वैज्ञानिक ने एक स्थानीय समाचार पत्र को इस तरह के प्रयासों को ऐसे बताया जैसे कोई डॉक्टर किसी असाध्य रूप से बीमार रोगी के जीवन को कुछ वर्षों तक बढ़ाने की कोशिश कर रहा हो। एकमात्र वास्तविक इलाज ग्रह-वार्मिंग कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भारी कटौती करना होगा, जिसका चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत है।