Hindi News

indianarrative

मगरमच्छ के आंसू मत बहाओ… कहावत तो सुनी होगी पर इसे झूठे आंसू क्यों कहा जाता है, जानिए

Crocodile tears facts

अक्सर लोगों को कहते ये सुना होगा घड़ियाली आंसू मत बहाओ या मगरमच्छ के आंसू मत बहाओ, यह एक कहावत है जिसका मतलब झूठे आंसुओं से है जो जानबूझ कर किसी को भ्रमित करने के लिए निकाले जाते हैं। इस कहावत का काफी उपयोग किया जाता है।  लेकिन इसके पीछे क्या वजह है, यह क्यों शुरू हुई और इन झूठे आंसुओं से मगरमगच्छ  का क्या कनेक्शन है। इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने रिसर्च की ऐसे में कई बातें सामने आई है। वैज्ञानिकों का कहना है, मगरमच्छ हो घड़ियाल दोनों इमोशनल होने पर आंसू रिलीज करते हैं लेकिन कहावत में जिस आंसुओं का जिक्र किया जाता है उसकी वजह कुछ और है।

नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इंसान और जानवरों के आंसुओं को लेकर अध्ययन किया। रिसर्च में सामने आया कि इंसान, कुत्ते, घोड़े, बंदर तक के आंसुओं में एक जैसे ही केमिकल होते हैं। सभी टियर डक्ट की मदद से आंसू निकलते हैं।यह खास तरह ग्लैंड होती है, जिसका काम ऐसे लिक्विड यानी आंसू को रिलीज करना है जिसमें मिनिरल्स और प्रोटीन हैं। इसके जरिए आंखों को सूखने से रोका जाता है, लेकिन मगरमच्छ ऐसा एक विशेष कारणों से भी होता है।

यह है घड़ियाली आंसुओं की वजह…

वैज्ञानिकों की रिसर्च कहती है, जब मगरमच्छ अपना भोजन खाते हैं तो भी आंसू निकलते हैं। इनमें ये अतिरिक्त खूबी होती है। खाना खाने पर टियर ग्लैंड में खिंचाव होता है, इसलिए आंसू निकलते हैं। इनमें इस तरह के आंसुओं के पीछे कोई भी इमोशन नहीं होता, इसलिए इसे घड़ियाली या मगरमच्छ के आंसू कहा जाता है। इस मुहावरे का इस्तेमाल झूठे आंसू निकालने वाले के लिए कहा जाता है। हालांकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि मगरमच्छ या घड़ियाल इमोशनल नहीं होते।

मगरमच्छ हो या घड़ियाल, दोनों ही इमोशनल होते हैं और आंसुओं के जरिए अपने इमोशन जाहिर करते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं, इसका भी पता लगाया गया है। जब ये रोते हैं तो मक्खियां इनके आंसू को पीने का काम करती हैं क्योंकि इनमें मिनिरल्स और प्रोटीन होते हैं। इसके कारण इनके बारे में कई बातें सामने आई हैं।