Hindi News

indianarrative

Israel में हजारों साल पुरानी कंघी मिलने से हड़कंप,सामने आया चौंकाने वाला रहस्य

इजरायल में मिली 3700 साल पुरानी कंघी

Historical Comb Found In Israel:दुनियाभर में पुरातत्वविद अलग-अलग जगहों पर ऐतिहासिक चीजों की तलाश में जुटे रहते हैं, उनके इन प्रयासों की वजह से समय-समय पर हमारे सामने कई हजार साल पुरानी चीजें, इमारतें और अन्य धरोहर सामने आती रहती हैं। इसी कड़ी में इजरायल और अमेरिका के पुरातत्‍वविदों (Archaeology) की एक टीम ने दक्षिणी इजरायल (Israel) में एक खास कंघी ढूंढ निकाली है। हाथी के दांत से बनी यह कंघी 3700 साल पुरानी बताई जा रही है। इस कंघी पर कनानी लिपि में एक वाक्‍य भी लिखा है। एक्सपर्ट की मानें तो यह कैनिनिट या कनानी भाषा के सीक्रेट को बताता है।

कंघी पर क्या लिखा मिला है?

कंघी को ढूंढन के बाद पुरातत्वविदों ने इसे रिसर्च के लिए लैब भेजा। इस दौरान इस कंघी पर कनानी लिपि में जो लिखा मिला, उसका मतलब कनानी भाषा के जानकारों से पूछा गया। उन्होंने बताया कि इस कंघी पर लिखा है कि यह बालों और दाढ़ी की जूं को जड़ से खत्म कर सकता है। इस वाक्य में 17 अक्षर हैं, कंघी से कनानी वर्णमाला के शुरुआती प्रयोग के बारे में नई जानकारी मिलती है जिसका आविष्कार ईसा पूर्व 1800 साल के आसपास हुआ था। इसके बाद हिब्रू, अरबी, यूनानी, लैटिन आदि वर्णमाला प्रणालियां अस्तित्व में आईं।

ये भी पढ़े: वैज्ञानिकों को मिला अब तक का पृथ्वी के सबसे पास का ब्लैक होल,सूर्य से 10 गुना बड़ा

कंघी पर जूं होने के भी सूक्ष्म सबूत मिले

लैब में रिसर्च के दौरान टीम को कंघी पर जूं होने के सूक्ष्म सबूत भी मिले हैं। इस रिसर्च के बारे में बुधवार को यरूशलम जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी में एक आर्टिकल भी छपा है। इस पूरी खोज में हिब्रू यूनिवर्सिटी के अलावा अमेरिका की एडवेनस्टि यूनिवर्सिटी की टीम की भूमिका अहम रही है।

पहली बार मिला कोई वाक्‍य

हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योसेफ गारफिंकेल का कहना है कि पहली बार है जब कनानी भाषा में कोई वाक्‍य इजरायल (Israel) में मिला है। सीरिया के गारिट में कनानी लोग हैं, लेकिन वे एक अलग लिपि में लिखते हैं, न कि उस वर्णमाला में जो आज चलन में है। कनानी शहरों का जिक्र मिस्र के दस्तावेजों, अक्कादियन में लिखे गए अमरना चिट्ठियों और हिब्रू बाइबिल में किया गया है। कंघी शिलालेख लगभग 3700 साल पहले रोजमर्रा के कामों में वर्णमाला के प्रयोग का जीता-जागता सबूत है। प्रोफेसर गारफिंकेल की मानें तो यह मानव की लिखने की क्षमता के इतिहास में एक मील का पत्थर है।

नष्‍ट हो गया कंघी का हिस्‍सा

यरूशलम जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी में टीम ने अपने रिजल्‍ट्स को पब्लिश किया है। पुरातत्‍वविदों की टीम ने कंघी को छोटा बताया है जो साइज में 3.5 बाई 2.5 सेमी है। उन्‍होंने बताया कि कंघी दोनों तरफ दांत हैं और कंघी का बेस नजर नहीं आ रहा है। लेकिन माना जा रहा है कि कंघी के दांत बहुत पहले ही टूट गए थे। कंघी के बीच का हिस्‍सा नष्‍ट हो गया है। माना जा रहा है कि बालों की देखभाल के दौरान कंघी को पकड़ने वाली उंगलियों के दबाव से या बालों या दाढ़ी से जूं हटाने में यह हिस्‍सा खत्‍म हो गया होगा।