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रिसर्च का दावा, सिर्फ Internet स्पीड ही नहीं, दिमाग की कोशिकाओं पर भी होगा 6G सर्विस का असर

मस्तिक की कोशिकाओं पर भी असर डालेगी 6G

वैसे अभी 6G की टेक्नोलॉजी दुनियाभर में आने का थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। मगर भारत तो अन्य देशों से पीछे है, लेकिन भारत सरकार का प्लान है कि वो 6G टेक्नोलॉजी के लिए पहले से तैयारी करके रखें तो जल्द ही भारत के लोग 6G टेक्नोलॉजी का फायदा उठा सके। इसका मतलब फिलहाल के लिए कंपनियां 5G पर काम कर रही हैं, लेकिन उसके साथ ही 6G की प्लानिंग भी शुरू हो गई है और सरकार भी इसमें दिलचस्पी दिखा रही है।  हालांकि,चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकती है। दरअसल, रेडियो तरंगों का टेराहर्ट्ज़ बैंड किसी भी स्मार्टफोन की बैंडविड्थ को 1टेराबाइट  प्रति सेकंड तक बढ़ाने में सक्षम है और इसका सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ सकता है। प्रयोगशाला चूहों की कोशिकाओं के विकिरण के संपर्क में आने पर उसके न्यूरॉन्स में लगभग 150प्रतिशत की वृद्धि पाई गई है।

इस अवलोकन ने शुरू में शोधकर्ताओं को कन्फ्यूज्ड कर दिया, जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया कि मस्तिष्क की कोशिकाओं की तीव्र गति से वृद्धि होती है। हालांकि, वे स्वस्थ रहने में सक्षम थे। इस शोध के मुताबिक, वैज्ञानिक मस्तिष्क रोगों के इलाज के लिए उपचार विकसित करने के लिए अभी इस विषय और अध्ययन करेंगे।

इस रिसर्च के प्रमुख वैज्ञानिक ली शियाओली ने पीयर-रिव्यू जर्नल एक्टा फिजिका सिनिका में प्रकाशित एक पेपर में लिखा, "टेराहर्ट्ज विकिरण प्रोटोकॉल की सुरक्षा एक शीर्ष चिंता का विषय है। बता दें कि इस रिसर्च को बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी में स्टेट की लेबोरेटरी ऑफ कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस एंड लर्निंग ने भी समर्थन दिया है। उन्होंने इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए इसे जारी रखने का निर्णय लिया है।

वहीं रिसर्च पेपर में कहा गया है कि मस्तिष्क कोशिकाएं एक बिंदु के बाद बढ़ना बंद कर देंगी। शानक्सी प्रांत के जियान जियाओतोंग विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रेन साइंस के प्रोफेसर लियू जियानक्सिन ने भी 6G रेडियो तरंगों के कुछ सकारात्मक प्रभाव पाए हैं।