भारत को कई शानदार खिलाड़ी देने वाले कोच तारक सिन्हा का निधन हो गया है। वो लंब वक्त से बीमार चल रहे थे। 71 साल के तारक सिन्हा ने आज तड़के 3 बजे अंतिम सांस ली। 71 साल के तारक सिन्हा दिल्ली में सोनेट क्रिकेट क्लब चलाते थे और आज दुनिया भर में अपनी बल्लेबाजी से लोहा मनवा चुके ऋषभ पंत को तराशने वाले भी तारक सिन्हा ही थे। इनकी कोचिंग से निकले 12 खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। जबकि उनके 100 से ज्यादा खिलाड़ियों ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपने टैलेंट का जलवा दिखाया।
सोनट एकेडमी से एक दो नहीं, बल्कि कई दिग्गज खिलाड़ी निकले, जो आगे चलकर भारत के लिए खेले। इसमें शिखर धवन, आकाश चोपड़ा और आशीष नेहरा अहम हैं। इनके अलावा मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा, अतुल वासन, अंजुम चोपड़ा जैसे खिलाड़ी भी तारक सिन्हा की एकेडमी से ही निकले थे। उनके तैयार किए एक दर्जन खिलाड़ी भारत के लिए खेले। तारक सिन्हा द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित होने वाले देश के 5वें क्रिकेट कोच थे। उनसे पहले ये अवार्ड देश प्रेम आजाद, गुरचरण सिंह, रामाकांत आचरेकर और सुनीता शर्मा को ये अवार्ड मिल चुका था।
तारक सिन्हा दिल्ली की टीम के कोच भी रहे। उनकी कोचिंग में दिल्ली ने 1985-86 में रणजी ट्रॉफी का टाइटल जीता। साल 2001-02 में वो भारत की महिला क्रिकेट टीम के हेड कोच बनाए गए। उनकी कोचिंग में ही मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसे खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। उनकी ही कोचिंग में टीम ने विदेश में अपना पहला टेस्ट साउथ अफ्रीका की धरती पर जीता था। इसके बाद इंग्लैंड को घरेलू जमीन पर 4-0 से हराया था। 2002 में जब वो दिल्ली की जूनियर टीम के कोच बने तो उसने स्टेट टूर्नामेंट में अंडर-15, अंडर-19 और अंडर -22 का खिताब जीता। साफ है बतौर कोच तारक सिन्हा ना सिर्फ देश को इंटरनेशनल खिलाड़ी देने में ही सफल रहे बल्कि टीमों को खिताबी जीत का दीदार कराने में भी कामयाब रहे। भारतीय महिला क्रिकेट टीम के प्रदर्शन को संवारने में तारक सिन्हा का योगदान बड़ा है।