यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग इनके बीच नहीं है। बल्कि, पश्चिमी देशों और पुतिन के बीच ये जंग है। क्योंकि, पश्चिमी देश यूक्रेन को पूरी तरह से मदद कर रहे हैं। हथियार, तोप, टैंक, फाइटर जेट्स, मिसाइल के साथ ही आर्थिक मदद भी कर रहे हैं। पश्चिमी देशों ने धमकी दे रखी है कि जो भी देश रूस से व्यापार, संबंध या उसकी मदद करेगा उसे अंजाम भुगतना होगा। लेकिन, यही पश्चिमी देश यूक्रेन को पूरी तरह से मदद कर रहे हैं। लेकिन, इसके बाद भी यूक्रेन और पश्चिमी देश ये जंग हार रहे हैं। इस जंग के पीछे सबसे बड़ा करण नाटो रहा है। न तो यूक्रेन नाटो में जाने की रट लगाता और न ही आज ये हालात देखने पड़ता। नाटो जब यूक्रेन को नहीं शामिल कर सकता तो अब फिनलैंड और स्वीडन को लेकर रणनीति तेज कर दिया है। जिसके बाद रूस भी एक्शन में आ गया है।
फिनलैंड के नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने के बाद रूस ने चेतावनी दी थी कि नाटो का सदस्य बना तो उसके लिए मुश्किल होगी। अब रूस ने फिनलैंड गैस आपूर्ति रोक दी है। इसके साथ ही रूस ने दोनबास में हमले बढ़ा दिए हैं। रूस के हमलों में तेजी के बाद यूक्रेन ने युद्धविराम से इनकार किया है। फिनलैंड की गैस आपूर्त रोकना रूस की तरफ पश्चिम की घेराबंदी के खिलाफ उठाया गया कदम है। हालांकि, रूस का कहना है कि गैस आपूर्ति भुगतान विवाद की वजह से बाधित हुई है। रूबल में भुगतान नहीं मिलने पर आपूर्ति रोकी गई है। इसका फिनलैंड के नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन से कोई संबंध नहीं है।
रूस की राज्य गैस कंपनी गैजप्रोम ने कहा कि, सने यह कदम पश्चिमी देशों की तरफ से रूस पर लगाए प्रतिबंधों के खिलाफ उठाया है। वहीं, फिनलैंड ने कहा, रूस की तरफ से गैस आपूर्ति में बाधा की आशंका पहले से थी। इसके लिए वह भी पहले से ही तैयार था। फिनलैंड पर गैस आपूर्ति रोकने को कोई खास असर नहीं पड़ेगा। यूरोप में गैस आपूर्ति के ज्यादातर अनुबंध यूरो या डॉलर में भुगतान के हैं।