अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान लगातार दुनिया के बड़े देशों से समर्थन का उम्मीद लगाए बैठा हुआ है। चीनी और पाकिस्तान के साथ कुछ चुनिंदा देशों ने तालिबान को समर्थन दे रखा है लेकिन अमेरिका, यूरोपीय देशों सहित भारत और बाकी के देश वेट एंड वाच की भूमिका अपनाए हुए हैं। तालाबिना शुरुआत से ही भारत से उम्मीद लगाए बैठा हुआ है, इस बीच मानवीय संकट को गहराता देख भारत ने ऐसा कदम उठाया है कि चीन और पाकिस्तान की आखें खुली की खुली रह गई है।
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दरअसल, हाल ही में अफगानिस्तान को इंडिया ने 1.6मीट्रिक टन जीवन रक्षक दवाओं की पहली खेप को भेजा है। भारत द्वारा किए गए इस सहायता के बाद तालिबान ने धन्यवाद देते हुए कहा है कि, दोनों देशों के बीच संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस सहायता को शनिवार को नई दिल्ली से काबुल के लिए एक विशेष विमान द्वारा भेजा गया था। इसमें जीवन रक्षक दवाएं भी शामिल थीं। भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने ट्विटर पर कहा कि सहायता इस कठिन समय में कई अफगान परिवारों की मदद करेगी।
फरीद ममुंडजे ने कहा, सभी बच्चों को एक छोटी सी मदद, एक छोटी सी आशा और उन पर विश्वास करने वाले की जरूरत है। भारत से चिकित्सा सहायता की पहली खेप आज सुबह काबुल पहुंची. 1.6मीट्रिक टन जीवन रक्षक दवाएं इस कठिन समय में कई परिवारों की मदद करेंगी। भारत के लोगों की ओर से उपहार। इसके अलावा अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात (IEA) के उप प्रवक्ता अहमदुल्ला वासिक ने एक ट्वीट में शनिवार को कहा, भारत इस क्षेत्र में एक अग्रणी देश है। अफगानिस्तान-भारत संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं।
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वहीं, विदेश मंत्रालय की ओर से कल कहा गया था कि, अफगानिस्तान में चुनौतीपूर्ण मानवीय स्थिति को देखते हुए, भारत सरकार ने वापसी की उड़ान में चिकित्सा आपूर्ति की एक खेप भेजी है। ये विमान निकाले गए भारतीयों को अफगानिस्तान से लेकर आई हैं। इसके आगे कहा गया कि, विशेष उड़ान शुक्रवार को भारत द्वरा किए गए एक निकासी मिशन के एक हिस्से के रूप में ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से हिंदू-सिख अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों सहित 10 भारतीयों और 84 अफगानों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लेकर आई।