दुनिया के कई देशो में कोरोना (Corona) एक बार फिर फैलता नज़र आ रहा है। कोरोना (Corona) जहा से शुरू हुआ वह जगह चीन का वुहान था। उसके बाद तोह उसने कई देशो में तबाही मचा दी थी। अब चीन के कारण एक देश में फिर तबाही मचने के आसार हैं। दरअसल, चीन ने भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका (Srilanka) में एक पॉवर प्लांट प्रोजेक्ट शुरू कराया था। खबर है कि उस प्लांट से एसिड का रिसाव होने लगा है। चीन की फंडिंग वाले नोरोचचोलाई कोल पॉवर प्लांट से निकलने वाला जहरीला एसिड श्रीलंकाई लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रहा है। इसके अलावा वो श्रीलंका में मौजूद दुनिया के सबसे पुराने श्री महाबोधि वृक्ष के लिए भी खतरनाक हो सकता है। पॉवर प्लांट वाले इलाके में एक इकोलॉजिस्ट ने सर्वे करने के बाद यह दावा किया। इकोलॉजिस्ट ने बताया कि पावर प्लांट से निकलने वाले एसिड का असर वहां से कुछ किमी दूर मौजूद महाबोधि वृक्ष पर पड़ सकता है, क्योंकि एसिड के गैस में तब्दील होने पर उसके तत्व सजीव वस्तुओं के लिए खतरनाक हो जाते हैं।
ज़हरीली गैस से बच्चों को हो रही हैं स्किन डिसीज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन श्रीलंका के पोर्ट्स और एनर्जी सेक्टर में अपने निवेश को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए चीन ने श्रीलंका में हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर ले लिया है, और वहां वो कोई भी प्रोजेक्ट चला सकता है। हंबनटोटा में चीनी कंपनी सिनोपेक निवेश करेगी और, जिस नोरोचचोलाई प्लांट से एसिड-लीक की खबर आ रही है, वो चाइनीज कंपनी के सहयोग से ही तैयार किया गया श्रीलंका का सबसे बड़ा थर्मल पॉवर प्लांट है। बताया जा रहा है कि इस पॉवर प्लांट के आस-पास मौजूद पेड़ों में पहले ही गंभीर लक्षण नजर आने लगे हैं। वहीं, जहरीली गैस से इलाके में रहने वाले कई बच्चों को स्किन डिसीज हो रही हैं।
श्रीलंका के लिए क्यों तबाही का कारण बन सकता है नोरोचचोलाई प्लांट?
नोरोचचोलाई प्लांट श्रीलंका के लिए क्यों तबाही का कारण बन सकता है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि कोई भी थर्मल पॉवर स्टेशन ऊष्मीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। भाप पैदा करने वाले यंत्रों में उच्च दबाव वाली भाप का उत्पादन करने के लिए एक बड़े दबाव वाले बर्तन में पानी को उबालने के लिए गर्मी का उपयोग किया जाता है। विद्युत के लिए बड़े पैमाने पर हीट यानी कि आग चाहिए होती है और इसके लिए कुछ एसिड का इस्तेमाल किया जाता है। यदि ऐसे किसी प्लांट में एसिड रिसने लगे तो उससे आस-पास की बसावट का जीना मुश्किल हो जाता है।
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