Britain Politics crisis: ब्रिटेन में एक बार फिर से सियासी संकट (Britain Politics crisis) शुरु हो गया है। बोरिस जॉनसन के बाद में लिज ट्रस देश की नई प्रधानमंत्री बनी। लेकिन, अब उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है। लिज ट्रस (Uk Pm Liz Truss) को ब्रिटेन की सत्ता में आए अभी सिर्फ छह हफ्ते ही हुए थे, अपनी ही गलतियों के चलते वो ब्रिटेन पीएम (Britain Politics crisis) को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनसे पहले ब्रिटेन की गृह मंत्री (इंटीरियर मिनिस्टर) सुएला ब्रेवरमैन (Suella Braverman) अपने पद से इस्तीफा दे चुकी हैं। अब ब्रिटेन पीएम की रेस में भारतीय मुल के ऋषि सुनक सबसे आगे हैं लेकिन, उनके साथ ही बोरिस जॉनसन की भी वापसी की बात होने लगी है।
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बोरिस जॉनसन फिर बन रहे लोगों की पहली पसंद
लिज ट्रस के इस्तीफे के साथ ही एक बार फिर कंजर्वेटिव पार्टी अपना नेता चुनने की तरफ बढ़ चुकी है। ट्रस ने कहा है कि नए नेता का चुनाव एक हफ्ते के अंदर होगा। बुकीज का दांव अब भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और पेनी मोरदाउंट पर है। माना जा रहा है कि दोनों में से कोई एक अगला पीएम हो सकता है। लेकिन इन सबसे अलग पार्टी के कई नेता पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन की वापसी चाहते हैं। हालांकि, सुनक की चर्चा ज्यादा हो रही है। द सन के मुताबिक कंजर्वेटिव पार्टी के बहुत से नेता चाहते थे कि ट्रस को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके बाद सब बुधवार को गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा देने का ऐलान किया तो ट्रस पर दबाव बढ़ गया। YouGov पोल में पार्टी के 55 फीसदी सदस्यों का कहना है कि चुनाव की स्थिति में वह सुनक को वोट करेंगे। वहीं 63 फीसदी सदस्य मानते हैं कि पूर्व पीएम जॉनसन बेहतर विकल्प हो सकते हैं। 32 फीसदी नेताओं ने उन्हें टॉप कैंडीडेट करार दिया। 23 फीसदी सदस्य सुनक के पक्ष में हैं। 60 फीसदी सदस्य मानते हैं कि सुनक को रिप्लेसमेंट के तौर पर लाना एक अच्छा आइडिया हो सकता है। वहीं, 47 फीसदी सदस्यों ने जर्मी हंट को वोट दिया है। पेनी मोरदाउंट के पक्ष में 54 फीसदी सदस्य हैं। 62 फीसदी लोग रक्षा मंत्री बेन वॉलेस के पक्ष में हैं। पार्टी के सांसदों का मानना है कि वो देश के भविष्य के लिए एक बेहतर नेता का चुनाव कर पाएंगे।
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अपनी गलतियों के चलते देना पड़ा इस्तीफा
लिज ट्रेस ने इस्तीफे में लिखा है कि, सरकार का काम उन लोगों पर निर्भर है जो अपनी जिम्मेदारी संभालते हैं और गलतियों को मानते हैं। हमें ऐसा लगता है कि हमने कोई गलती नहीं की है और उम्मीद करना कि जादुई तरीके से सारी चीजें सही हो जाएंगी, गंभीर राजनीति नहीं है।’ ट्रस ने सोमवार को जनता से माफी मांगी थी और कहा था कि वह काफी तेजी से ढेर सारे सुधार करना चाहती थी। ट्रस ने जिन सुधारों का ऐलान किया था उनकी वजह से देश में आर्थिक संकट पैदा हो गया। ट्रस की सरकार ने पिछले महीने ही बाजार में जारी अस्थिरता के बीच ही ऋण-ईधन टैक्स में कटौती का ऐलान किया।