श्रीलंका, बांग्लादेश, पकिस्तान के साथ ही कई और देश हैं जो भारत के पड़ोसी देश हैं और इन सारे देशों को चीन अपने कर्ज जाल में फंसा रहा है। श्रीलंका तो फंस चुका है यहां पर आजादी के बाद इतिहास में पहली बार आर्थिक तबाही देखने को मिल रही है। यहां पर हर एक चीजों की भारी कमी के चलते जनता सड़कों से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पर कब्जा कर प्रदर्शन कर रही है। पाकिस्तान का भी हाल बेहद ही गंभीर स्थिति में है। यहां पर भी दिन-ब-दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। चीन ने यहां पर इतने परियोजनाओं को लागू किया लेकिन इससे पाकिस्तान को फायदे के बजाय इतना घाटा हुआ कि यहां की अर्थव्यवस्था ही चर्रमरा गई। बांग्लादेश में भी अब धीरे-धीरे महंगाई देखने को मिलने लगी है। हाल ही में यहां पर पहली बार पेट्रोल-डीजल के दामों में 50फीसदी से भी ज्यादा की वृद्धि की गई है। ये सारे देश चीन के कर्ज जाल में फंस चुके हैं और अब भारत का एक अन्य पड़ोसी देश ड्रैगन के जाल में फंस गया है।
पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में आर्थिक भूचाल मचाने के बाद चीन ने अब नेपाल को अपनी जाल में फंसाना शुरू कर दिया है। इस वर्त नेपाल को चीन ने 15अरब रुपये (118मिलियन डॉलर) की अनुदान सहायता देने का वादा किया है। इस पैसे को विभिन्न परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा। जो परियोजना सबसे खास बताई जा रही है वह है क्रॉस-हिमालयन रेलवे लाइन। चीन ने नेपाल के साथ सीमा पार रेलवे कनेक्टिविटी नेटवर्क, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के हिस्से के तहत 15अरब रुपये की सहायता पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने गुरुवार को ये जानकारी दी
हिमालय में चीन की चाल
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि, इस साल चीन रेलवे लाइन के लिए सर्वेक्षण करने के लिए विशेषज्ञों को भेजेगा। मंत्रालय के वांग वेनबिन ने कहा कि, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके नेपाली समकक्ष, नारायण खडका के बीच पूर्वी चीनीन शहर किंगदाओं में एक बैठक के दौरान इसपर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि, जैसा कि मैंने अभी कहा, दोनों विदेश मंत्रियों ने अपनी बातचीत के दौरान एक क्रॉस-हिमालयन, बहुआयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क बनाने पर सहमति व्यक्त की है। स्टेट काउंसलर वांग ने कहा कि चीन पैसे लगाएगा, रेलवे लाइन के वास्ते अध्ययन करने में नेपाल की सहायता करेगा और एक साल के भीतर विशेषज्ञों को जांच के लिए नेपाल भेजेगा।
वांग ने कहा कि, चीन नेपाल के साथ बिजली परियोजनाओं के साथ ही क्रॉस-हिमालयन कनेक्टिविटी परियोजनाओं के निर्माण में भी काम करेगा। चीन के ये वादे दक्षिण एशियाई देशों में उसकी पहुंच को मजबूत करने के इरादों को दर्शाते हैं। बीजिंग इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर, 2019में नेपाल का दौरा किया था। उस समय दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों से आगे बढ़ते हुए रणनीतिक भागीदारी बने थे।
-चीन ने नेपाल को विभिन्न परियोजनाओं के लिए 800मिलियन आरएमबी (118मिलियन डॉलर) देने का वादा किया है।
-केरुंग-काठमांडू रेलवे बनेगा।
-नेपाल-चीन सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन पर भी होगा काम।
-केरुंग-काठमांडू रेलवे ट्रांस-हिमालयी बहु-आयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क का हिस्सा है।
-इस योजना के लिए पहली बार 2017में चीन और नेपाल के बीच औपचारिक रूप से सहमति हुई थी।
-उसी समय काठमांडू चीन के बीआरआई में शामिल हुआ था।
वांग यी ने साल 2022के लिए नेपाल को 80करोड़ आरएमबी (चीनी मुद्रा) मुहैया कराने की भी घोषणा की।
व्यापार, कनेक्टिविटी, निवेश, स्वास्थ्य, पर्यटन, गरीबी उन्मूलन, कृषि, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर दोनों देशों ने सहमति जताई है।