दुनिया में इस वक्त सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सबसे पहले शुरुआत अफगानिस्तान से हुआ और इसकी ऐसी बुरी नजर लगी की कई दुनियाभर में उथल-कूद मच गई। अफगानिस्तान अभी जंग की मार झेल ही रहा था कि रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। जिसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। खासकर पश्चिमी देशों में तो महंगाई की भूचाल देखने को मिल रही है। पश्चिमी देश रूस के तेल और गैस पर ज्यादा निर्भर थे और यूक्रेन पर हमला बोलते ही सारे यूरोपीयन देश रूस के खिलाफ हो गए और कई कड़े प्रतिबंध लगाने लगे जिसमें गैस और तेल को लेकर है। लेकिन, रूस से ज्यादा झटका उलटा इन पश्चिमी देशों को लगा जिसका असर दुनिया के चौथे सबसे बड़े अर्थवय्वस्था वाले देश जर्मनी में देखने को मिल रहा है। यहां पर कई बड़े उद्योग बंद होने के कगार पर हैं और देश में गैस की भारी किल्लत है। इधर श्रीलंका में भारी आर्थिक तबाही के चलते देश बर्बाद हो गया है। इसके साथ ही पाकिस्तान भी श्रीलंका की राह पर है। इस बीच चीन कई देशों के लिए नासूर बनता जा रहा है। चीन भी कह रहा है कि, वो ताइवान पर हमला करेगा। जिसे लेकर अमेरिका और ड्रैगन आमने सामने हैं। अब दुनिया एक और जंग देख सकती है और वो भी दुनिया के दो महाशक्तिशाली देशों के बीच।
ये कोई और नहीं बल्कि चीन और अमेरिका हैं जिनके बीच आने वाले दिनों में कुछ भी हो सकता है। क्योंकि, चीन ने एशिया प्रशांत क्षेत्र के एक खास नियम बनाया है और इसे लेकर अमेरिका को भी मानने का आदेश दिया है। दरअसल, पिछले दिनों चीन के विदेश मंत्री वांग वाइ ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन से मुलाकात की और इस दौरान चीन ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र से जुड़ा एक ब्लूप्रिंट सौंपा। इस ब्लूप्रिंट में चीन ने वो नियम तय कर दिया है जिसके तहत अमेरिका को एशिया पैसेफिर क्षेत्र में काम करना होगा। दोनों की मीटिंग करीब 4 घंटे तक चली थी और पिछले सप्ताह गोनें मंत्री मिले थे।
चीनी मंत्री वांग ने जकार्ता में जारी एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस के मंत्रियों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इन नियमों के बारे में विस्तार से चर्चा की। वांग ने बताया कि किस तरह से उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री के सामने अपने नियम रखें और ये नियम कितने जरूरी है। वांग ने कहा, मैंने अमेरिकी पक्ष के सामने ये बात रख दी है कि दोनों पक्षों को शांति से यहां पर इन नियमों पर सकारात्मक रूप से चर्चा करनी चाहिए ताकि एक खुले एशिया प्रशांत क्षेत्र के बारे में सोचा जा सके। उन्होंने आगे कहा कि वो अब चीनी प्रस्ताव के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। वांग की तरफ से जो नियम बताए गए हैं उसके तहत आसियान देशों को सपोर्ट करना और जो क्षेत्रीय सहयोग का ढांचा तैयार किया गया है, उसे कायम रखना। साथ ही एशिया के हितों को बरकरार रखना शामिल है। इसके अलावा सार्वजनिक साधनों को आगे बढ़ाकर स्थिरता को प्रमोट करना शामिल है। चीनी मंत्री ने कहा कि, अगर चीन और अमेरिका में चर्चा कर सकते हैं तो इससे सकारात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि, फिलहाल अमेरिका की ओर से इसे लेकर कोई बयान नहीं आया है लेकिन, माना जा रहा है कि इसके चलते दोनों देशों के बीच में तकरार और भी बढ़ सकती है। क्योंकि, चीन और अमेरिका दोनों ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगे हुए हैं। इसी क्षेत्र को लेकर चीन का अमेरिका के सहयोगियों के साथ विवाद है। इसके साथ ही चीन की ओर से यह भी हाल ही में कहा गया है कि, ताइवान स्ट्रैट, अंतरराष्ट्रीय जल सीमा नहीं है। साथ ही चीन ने अमेरिका के उस दावे को चुनौती दी है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों से जुड़ा है। वांग ने ताइवान को लेकर भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, कम्युनिस्ट पार्टी, ताइवान को चीन का हिस्सा मानती है और ये चीन के अहम हितों से जुड़ा हुआ है।