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रूस-यूक्रेन जंग से सोने में नहाया अमेरिका तो चीन की हुई चांदी ही चांदी, अरबों डॉलर की हो रही मोटी कमाई

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रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो हफ्ते से जंग चल रही है। इस जंग को लेकर दुनिया को डर है कि कही ये तीसरे विश्वयुद्ध न बन जाएं। बेशक रूस और यूक्रेन के युद्ध से दुनियाभर में खलबली मची हो रहे, लेकिन अमेरिका खूब मजे ले रहा है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा कंपनियों को हथियारों की आपूर्ति से अरबों डॉलर का तगड़ा फायदा हो रहा है। यही नहीं, चीन भी मालामाल हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जंग की हालातों को देखते हुए रक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खर्च किया जा रहा है। यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन को 45 करोड़ यूरो के हथियार देने का वादा किया है।

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वही, अमेरिका ने भी 35 करोड़ डॉलर की अतिरिक्‍त सैन्‍य सहायता देने का दावा किया है। यह नहीं, इससे पहले अमेरिका यूक्रेन को 65 करोड़ डॉलर की सैन्‍य सहायता देने का वादा भी कर चुता है। इन सबको मिलाकर अगर देखें तो अमेरिका और नाटो देश 17 हजार ऐंटी टैंक हथियार और 2000 स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें भेज रहे हैं। वहीं रूस के खिलाफ ब्रिटेन, ऑस्‍ट्रेलिया, तुर्की और कनाडा मिलकर अंतरराष्‍ट्रीय गठबंधन बना रहे है। इन सबसे हथियार निर्माता कंपनियों की चांदी ही चांदी है। हथियार उद्योग में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है।

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साल 2016 से 2020 तक के बीच में दुनिया में कुल बिके हथियारों में से 37 फीसदी अमेरिका ने बेचा था। इसके बाद रूस का 20 फीसदी, फ्रांस 8 फीसदी, जर्मनी 6 और चीन 5 फीसदी था। इन निर्यातकों के अलावा कई और देश हैं जो इस भीषण जंग से जमकर कमाई कर रहे हैं। इसमें तुर्की सबसे आगे है जो रूस की चेतावनी के बाद भी यूक्रेन को अपने घातक हमलावर ड्रोन विमान दे रहा है। इससे उसका हथियार उद्योग चमक गया है। इसके अलावा इजरायल का रक्षा उद्योग जमकर कमाई कर रहा है। वही, रूस को इन हमलों से झटका लगा है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से रूस का रक्षा उद्योग भारी नुकसान उठा सकता है।

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रूस से भारत लगातार अपने हथियारों को कम खरीद रहा है। इस अमेरिका भी भारत पर दबाव बना रहा है कि रूस के हथियारों की खरीद को और कम किया जाए। ऐसे में रूस के लिए अब हथियारों के लिए कच्‍चा माल तलाश करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। रूसी हथियारों की कमी से अब हथियार बाजार में अमेरिका और पश्चिमी देशों का कब्‍जा बढ़ सकता है। यही नहीं अब रूस को अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण चीन की शरण में जाना होगा जिससे वह बीजिंग का जूनियर पार्टनर बन जाएगा। इसके अलावा चीन अब खाड़ी देशों में हथियारों की बिक्री को बढ़ा सकता है। हाल ही में चीन को यूएई से एक बड़ा ऑर्डर मिला है। कुल मिलाकर कहें तो इस जंग से जहां यूक्रेन और रूस तबाह हो रहे हैं, वहीं पश्चिमी देशों और चीन की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई है।