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China से निपटने के लिए अमेरिका पूरी तरह तैयार, रक्षा खर्च के लिए 69 करोड़ का बजट किया पेश

China से निपटने के लिए अमेरिका पूरी तरह तैयार

China से निपटने के लिए अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड जे ऑस्टिन ने कहा कि वह चीन(China) की चुनौती को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2024 के बजट में रक्षा मद में खर्च में बढ़ोतरी करेंगे। आपको बता दें कि अमेरिका ने अपने बजट में रक्षा क्षेत्र पर खर्च करने के लिए 69 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की चुनौती से निपटने के साथ ही हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में सैन्य ताकत बढ़ाने और अमेरिका के सहयोगियों के साथ ज्यादा युद्धाभ्यास करने पर भी फोकस रहेगा।

वित्तीय वर्ष 2024 के बजट का फोकस  हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और चीन की चुनौती से निपटने पर है। बता दें कि इस क्षेत्र के लिए अमेरिका ने रक्षा बजट में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए 9.1 बिलियन डॉलर तय किया है। यह इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अब तक का सबसे बड़ा बजट है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस बजट की तीन प्राथमिकताएं हैं, जिनमें राष्ट्र सुरक्षा, सैनिकों और उनके परिवारों की देखभाल और सहयोगी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर है। बता दें कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चुनौती बढ़ रही है। यही वजह है कि अमेरिका इस क्षेत्र में स्थित देशों से लगातार सहयोग बढ़ा रहा है।अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि यह रणनीतिक बजट है और चीन(China) की पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की चुनौती को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया है। बीते साल के के मुकाबले अमेरिका ने अपने रक्षा बजट में 13.4 प्रतिशत का इजाफा किया है। वहीं साल 2023 के मुकाबले बजट में तीन फीसदी का इजाफा किया गया है।

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रक्षा बजट में से 170 बिलियन डॉलर सेना के लिए नए हथियार और अन्य साजो-सामान खरीदने में खर्च किए जाएंगे। 61 बिलियन डॉलर B-21 रेडर पर खर्च किए जाएंगे। वहीं 48 बिलियन डॉलर अमेरिकी नौसेना के लिए नौ युद्धक पोत के निर्माण में खर्च किए जाएंगे। 37.7 बिलियन डॉलर परमाणु हथियारों की कमांड, कंट्रोल और कम्युनिकेशन पर खर्च होंगे। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि अमेरिकी सेना अकेले नहीं लड़ती इसलिए हमारे लिए सहयोगी देश अहम हैं और बजट में इसका पूरा ध्यान रखा गया है। फिलिपींस के साथ सहयोग बढ़ाया जाएगा और जापान भी अपने रक्षा खर्च को बढ़ा रहा है। AUKUS के द्वारा भी ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाया जाएगा।