गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिसंक झड़प में ड्रैगन के झूठ का पर्दाफाश हुआ था। ऑस्ट्रेलिया अखबार ने दावा किया था, कि गलवान हिसंक झड़प में चीन के 38 सैनिक नदी पार करते हुए डूब गए थे। इस कड़ी में अब चीन को एक सैनिक को ओलंपिक मशाल वाहक बनाने के फैसले के चलते आलोचना झेलनी पड़ रही है। ऐसे में अमेरिका का बयान सामने आया है। अमेरिका ने कहा है कि वो चीन की आक्रामकता के खिलाफ भारत के प्रति एकजुट है। हम सीधे संवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना जारी रखेंगे।'
अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा- 'हमने पहले भी अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है। जैसा कि हम हमेशा करते हैं, हम दोस्तों के साथ खड़े हैं। हम हिंद-प्रशांत में अपनी साझा समृद्धि, सुरक्षा तथा मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए भागीदारों और सहयोगियों के साथ खड़े हैं।' इससे पहले दिन में, 2 शीर्ष अमेरिकी सांसदों मार्को रुबियो और जिम रिश ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रेजिमेंटल कमांडर क्वी फाबाओ को ओलंपिक मशाल वाहक बनाने के फैसले के लिए चीन की आलोचना की थी।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने भी आरोप लगाया कि चीन की सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा ओलंपिक का इस्तेमाल किया जा रहा है और चीन में मानवाधिकारों के हनन से दुनिया का ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि सेना के रेजिमेंट कमांडर क्वी फाबाओ 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ सीमा पर हुई हिसंक झड़प में घायल हो गए थे और चीन ने ओलंपिक समारोह में उन्हें मशाल वाहक के रूप में चुना है। गलवान घाटी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। पिछले वर्ष फरवरी में चीन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि उसके 5 सैन्य अधिकारी तथा जवान झड़प में शहीद हुए थे। बीजिंग में 24वें शीतकालीन ओलंपिक समारोह की शुरुआत शुक्रवार को होगी।