मौजूदा समय में दुनिया बदलती हुई टेक्नोलॉजी पर टिकी हुई है। आपके हाथ में इस्तेमाल होने वाला मोबाइल फोन, आपके ऑफिस में पड़ा लैपटॉप और घर में रखा टेलीविजन, इनमें एक डिवाइस लगा होता है जिसे सेमीकंडक्टर कहते हैं। इस छोटे से डिवाइस को बनाने के लिए कोबाल्ट और लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है। अब चाइना (China) ने इन दोनों खनिजों के निर्यात पर बैन लगाने की बात कही है। इसके अलावा सौर पैनलों और मिसाइल सिस्टम में भी इन्हीं खनिजों का इस्तेमाल किया जाता है। लिथियम और कोबाल्ट आधुनिक दुनिया के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खनिजों में हैं। इससे पहले गैलियम और जर्मेनियम पर भी चीन ने प्रतिबंध लगाने की बात कही थी।
बाकी देशों के खनिज पर भी चीन का नियंत्रण
चीनी (China) कंपनियां अक्सर उन खनिजों के प्रासेसिंग को भी नियंत्रित करती हैं, जिनका उत्पादन उनके देश में नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए दुनिया की निकल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सीधे चीन से आता है, लेकिन बाकी का अधिकांश हिस्सा भी चीनी कंट्रोल में ही है। इन्हें भले ही इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों की खान से निकाला जाता है, लेकिन इन्हें प्रॉसेस चीनी कंपनियों के जरिए किया जाता है।
चीन का फैसला रोक सकता है अमेरिका की रफ्तार
शुक्रवार को अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने चीन में अमेरिकी व्यवसायों को बताया कि बाइडन प्रशासन अभी भी गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात को प्रतिबंधित करने के चीन के फैसले की समीक्षा कर रहा है। दुनिया के खनिजों पर चीन की पकड़ उसे पश्चिमी देशों की ऊर्जा, चिप निर्माण और रक्षा उद्योगों को संभावित रूप से बाधित करने की शक्ति देता है। चीन इसका इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ जारी प्रतिद्वंदिता में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कर रहा है। लिथियम या कोबाल्ट के निर्यात को प्रतिबंधित करने का चीन का फैसला दुनियाभर में गाड़ियों को निर्माण करने वाली कंपनियों को कड़ी टक्कर देगा। ऐसा माना जा रहा है कि इससे चीन को छोड़कर बाकी दुनिया में इलेक्ट्रिक कारों के लिए बैट्री का उत्पादन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।