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Israel के फिर PM बने Benjamin Netanyahu, पाकिस्तान की क्यों बढ़ी मुसीबत

Benjamin Netanyahu Makes A Comeback

Israel PM Netanyahu Come Back: इजरयाल में काफी समय से राजनीतिक संकट चल रहा था जो अब खत्म हो गया है। इजरायल की सत्ता में एक बार फिर से पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू (Israel PM Netanyahu Come Back) की वापसी हुई है। इजरायल के प्रधानमंत्री यायर लैपिड ने गुरुवार को चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर करते हुए विपक्षी नेता बेंजामिन नेतन्याहू (Israel PM Netanyahu Come Back) को फोन कर चुनावी जीत पर बधाई दी। नेतन्याहू के नेतृत्व वाले दक्षिणपंथी दलों के गठबंधन ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया है। नेतन्याहू-नीत दक्षिणपंथी गुट ने 120-सदस्यीय संसद में 64 सीट जीतकर बहुमत हासिल कर लिया। लैपिड ने नेतन्याहू (Israel PM Netanyahu Come Back) से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के सभी विभागों को सत्ता के व्यवस्थित हस्तांतरण की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। नेतन्‍याहू का लौटना भारत के लिए भी एक अच्‍छी खबर है। हालांकि, भारत-इजारयल (Israel and India Relation) के रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं लेकिन, नेतन्‍याहू की वापसी से इसमें और भी ज्यादा मजबूती आएगी।

नेतन्याहू ने किया कम बैक
इजरायल में 2019 में 73 वर्षीय नेतन्याहू पर रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी एवं विश्वासघात के आरोप लगने के बाद से राजनीतिक गतिरोध चला आ रहा है। नेतन्याहू इजरायल के सर्वाधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने लगातार 12 वर्षों तक और कुल मिलाकर 15 साल तक देश पर शासन किया। उन्हें 2021 में सत्ता से हटना पड़ा था लेकिन एक साल में ही उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में वापसी की है। यायर लैपिड ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, इजरायल की संकल्पना किसी भी राजनीतिक विचार से ऊपर है। मैं नेतन्याहू को इजरायल और यहां के लोगों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

भारत से खास लगाव
बेंजामिन नेतन्‍याहू ने पीएम रहते हुए भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की वकालत की थी। वह दूसरे इजरायली पीएम थे जो भारत दौरे पर आये थे। साल 2018 में नेतन्‍याहू का दौरा दोनों देशों के संबंधों में मील का पत्‍थर साबित हुआ था। इससे पहले जुलाई 2017 में पीएम मोदी इजरायल दौरे पर गये थे और ऐसा करने वाले वो हले भारतीय प्रधानमंत्री बने। पीएम मोदी के दौरे पर ही दुनिया ने नेतन्याहू के साथ उनकी वह केमेस्‍ट्री देखी जिसके बाद दोनों पक्‍के दोस्‍त कहे जाने लगे। दोनों देशों के बीच मजबूत व्‍यापारिक संबंध भी कायम हुए हैं। 1992 में 200 मिलियन डॉलर का व्‍यापार था तो वहीं साल 2021-2022 में यह बढ़कर 7.86 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। पीएम मोदी के दौरे के बाद दोनों देशों के बीच द्वपिक्षीय संबंध और भी ज्यादा मजबूत हुए। इजरायल, अमेरिका और संयुक्‍त अरब अमीरात के साथ मिलकर भारत एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहा है। माना जा रहा है कि नेतन्‍याहू के सत्‍ता में लौटने के बाद इस पर ध्‍यान दिया जा सकता है।

– बेंजामिन नेतन्‍याहू का जन्म 21 अक्तूबर 1949 को इज़राइल के तेल अबीव में हुआ
– नेतन्याहू के पिता बेंजियन इतिहासकार थे।
– बेंजामिन नेतन्याहू ने वर्ष 1967 में इजरायली सेना की नौकरी ज्वाइन की
– सेना में रहने के दौरान वो कई खुफिया सैन्य कार्रवाई में भी हिस्सा लिये।
– नेतन्याहू ने 1973 में हुए अरब-इजरायल वॉर में भी हिस्सा लिया
– नेतन्याहू ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत 1988 में लिकुड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर की।
– 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इजित्स राबिन की हत्या के बाद हुए चुनाव में नेतन्याहू पहली बार इजरायल के प्रधानमंत्री बने।
– नेतन्याहू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनका जन्म इजरायल के आजादी के बाद हुआ था।
– बेंजामिन नेतन्‍याहू ने पीएम रहते हुए भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की वकालत की थी।
– वह दूसरे इजरायली पीएम थे जो भारत दौरे पर आये थे।
– साल 2018 में नेतन्‍याहू का दौरा दोनों देशों के संबंधों में मील का पत्‍थर साबित हुआ था।
– दोनों देशों के बीच मजबूत व्‍यापारिक संबंध भी कायम हुए हैं।
– 1992 में 200 मिलियन डॉलर का व्‍यापार था तो वहीं साल 2021-2022 में यह बढ़कर 7.86 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
– भारत संग फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पकड़ेगा जोर

पाकिस्तान के लिए मुसीबत हैं नेतन्याहू
इजरायल का पाकिस्तान के साथ राजनैतिक या व्यावसायिक तौर पर कोई रिश्ता, कोई लेन-देन नहीं है। नेतन्याहू के आते ही पाकिस्तान की टेंशन बढ़ गई है। इजरायल और फिलस्तीन की तनातनी पूरी दुनिया जानती है और पाकिस्तान धार्मिक आधार पर फिलिस्तीन को मान्यता देता है।