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डोकलाम मामले पर भूटान ने मारी पलटी! आखिर ड्रैगन के सुर में सुर क्यों मिला रहे भूटानी PM?

चीन का गुणगान कर रहे भूटान के PM

भूटानी पीएम इन दिनों चीन के सुर में सुर मिलाने में लगे हुए हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में भूटानी पीएम लोटे शेरिंग ने कहा कि डोकलाम विवाद को हल करने में चीन की भी समान भूमिका है। ऐसे में अब उनके इस विवादित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र पर भूटान के बदलते पक्ष को दिखाते हैं। वहीं इससे पहले भूटान ने यह दावा भी किया कि चीन उसकी सीमा में कोई गांव नहीं बसाया है। डोकलाम भारत, चीन और भूटान तीनों देशों को जोड़ने वाला केंद्र बिंदु है। साल 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद से यह तीनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण रहा है।

अपने हालिया इंटरव्यू में शेरिंग ने कहा, ‘समस्या को हल करना अकेले भूटान के हाथ में नहीं है। हम तीन देश हैं। कोई मुल्क बड़ा या छोटा नहीं है, तीनों समान हैं, प्रत्येक की गिनती एक तिहाई के रूप में होती है।’ चीन ने डोकलाम के पास भूटान के क्षेत्र में गांवों और सड़कों का निर्माण किया है जो क्षेत्र में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। भारत डोकलाम में चीन के विस्तार का विरोध करता है ।

चीन ट्राई-जंक्शन को शिफ्ट करना चाहता है

शेरिंग के बयान से यह साफ होता है कि भूटान भारत और चीन (China) के साथ डोकलाम की स्थिति पर बातचीत करने और विवाद को हल करने में इच्छुक है। चीन का लक्ष्य ट्राई-जंक्शन को दक्षिण की ओर शिफ्ट करना है जिससे पूरा डोकलाम कानूनी रूप से चीन का हिस्सा बन जाएगा। भारत इस कदम का विरोध करता है। एक तरफ भूटानी पीएम दावा कर रहे हैं कि चीन उनकी सीमा में नहीं घुसा है तो वहीं सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि चीन ने भूटान के क्षेत्र में 10 गांव बसा लिए हैं।

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चीन को यहां तक पहुंचना चाहता है?

साल 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध चला था। भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पठार में प्रवेश किया था ताकि चीन को माउंट जिपमोची और आसपास के झम्फेरी रिज की ओर अवैध रूप से निर्मित सड़क का विस्तार करने से रोका जा सके। भारतीय सेना का दावा है कि चीनी सेना को झम्फेरी तक पहुंचने दिया गया तो उन्हें सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए एक ‘साफ रास्ता’ मिल जाएगा।