ताइवान को लेकर चीन के रवैये इन दिनों आक्रामक हैं। वो लगातार ताइवान पर दबाव और डराने के लिए अपने लड़ाकू विमानों को उनके एयर डिफेंस जोन में भेज रहा है। लेकिन, ताइवान डरने वाला नहीं है। क्योंकि, ताइवान के साथा अमेरिका संग नाटो देशों का साथ है और यही चीन के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है। ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका इन दिनों आमने सामने हैं। हाल के दिन में अमेरिका के टॉप अफसर और कई नेता ताइवान का दौरा कर चुके हैं। जिसे लेकर चीन का कहना है कि अमेरिका मान जाए वरना इसका अंजाम बुरा होगा। दरअसल, चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा और ताइवान का कहना है कि उसकी अपनी आजादी है। अमेरिका भी कह चुका है कि, अगर ड्रैगन ने ताइवान को लेकर कोई भी कदम उठाया तो वो उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हाल ही में ताइवान ने चीन को कड़ी चेतावनी दी थी जिसके बाद ड्रैगन ने एक साथ ताइनाव के क्षेत्र में 18 सैन्य विमानों को भेज दिया।
ताइवान की ओर से कहा गया है कि, चीन के 18 सैन्य विमानों ने उसके वायु रक्षा क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया है। इसे साल की दूसरी सबसे बड़ी घुसपैठ बताया जा रहा है। बमवर्षक विमानों ने ताइवानी क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण-पूर्व से एक साथ उड़ान भरी जबकि अन्य जेट दक्षिण-पश्चिम से आए। राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन विमानों में छह जे-11 लड़ाकू जेट, छह जे-16 लड़ाकू जेट, दो शीआन एच -6 बमवर्षक, दो केजे -500 हवाई पूर्व चेतावनी और नियंत्रण विमान, एक शानक्सी वाई-8 विमान शामिल थे। ताइवान समाचार की रिपोर्ट में बताया गया कि पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान और एक शानक्सी वाई-8 इलेक्ट्रॉनिक युद्धक विमान भी शामिल था। इनसे निपटने के लिए ताइवान की वायुसेना ने विमान भेजे, रेडियो चेतावनी दी व चीनी विमानों को ट्रैक करने के लिए वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली तैनात की।
बता दें कि, हाल ही में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया जैसे यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के लिए रूस पर प्रतिबंध लगा रही है वैसे ही ताइवान पर चीनी आक्रमण को लेकर चीन पर प्रतिबंध लगाएगी। बता दें कि ताइवान भी रूस पर पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों में शामिल हो गया है। वू ने कहा है कि भविष्य में चीन अगर हमें बलपूर्वक धमकी देता है या फिर हम पर आक्रमण करता है तो हम निश्चित रूप से यह आशा करते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ताइवान को समझ सकता है और उसका समर्थन कर सकता है और चीन के आक्रामक व्यवहार को प्रतिबंधित कर सकता है।