दुनिया के कई देशों से दुश्मनी मोल लिए बैठे ड्रैगन को काबू में करने के लिए कई देश रणनीति बना रहे हैं। चीन (China) अपने आस-पास के देशों की जमीनों पर जबरन कब्जा करने की कोशिश करता रहता है। भारत की भी सीमा चीन से लगती है और इन सिमाओं में चीन कब्जा करने की कोशिश करता रहा है। गलवान वैली को लेकर पिछले दो साल से दोनों देश आमने सामने हैं। भारत के मुंह तोड़ जवाब से ड्रैगन भन्नाया हुआ है। वहीं अब लम्बे वक्त से चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद पर चीनी दूतावास का बयान आया है। दूतावास में प्रभारी राजदूत मा जिया (Ma Jia) ने बुधवार को कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से उपजी कठिनाइयों का सामना करना होगा। लेकिन दोनों में से कोई भी देश युद्ध या टकराव नहीं चाहता है।
मा जिया ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में सीमावर्ती क्षेत्रों के हालात को ‘बहुत जटिल’ बताते हुए कहा कि यह विवाद एक द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसमें विदेशी हस्तक्षेप से समस्याओं को हल करने में मदद नहीं मिलेगी। इस बयान में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन (China) के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान की पृष्ठभूमि में आया है। जिससे संकेत मिला कि दोनों पक्ष ‘अप्रासंगिक मुद्दों’ को उठाने के लिए बहुपक्षीय मंचों के उपयोग का विरोध करेंगे। भारत में चीनी राजदूत के रूप में सुन वीदोंग का कार्यकाल पिछले साल अक्टूबर में समाप्त होने के बाद चीन ने अभी तक इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की है। वरिष्ठ राजनयिक जिया नयी दिल्ली में चीनी मिशन की प्रभारी हैं।
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आगे उन्होंने कहा,‘कठिनाइयां हैं, मैं यह बात कह चुकी हूं। लेकिन हमें इसका सामना करना होगा। हमें यह भी भरोसा है कि चीन और भारत युद्ध नहीं चाहते। जिया ने कहा कि सीमा का मुद्दा कई साल से है और समझौते पर पहुंचना आसान नहीं था। बहुपक्षीय मंचों पर यूक्रेन का मुद्दा उठाये जाने पर रूस और चीन के विरोध करने के संकेतों के बीच चीनी राजनयिक ने कहा कि यदि आर्थिक और वित्तीय विषयों पर चर्चा करने के लिए स्थापित किसी मंच पर प्रमुख सुरक्षा मुद्दे उठाये जाते हैं तो जी20 में आम-सहमति पर पहुंचना मुश्किल हो सकता है।