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इन दो देशो ने मिलकर समंदर में किया जंगी अभ्यास, प्रशांत महासागर में की 13 हजार किलोमीटर की गश्ती

China and Russia: रूस और यूक्रेन के बीच जंग सिर्फ दो देशों की नहीं, ​बल्कि दो गुटों की है। एक गुट है ‘नाटो’ संगठन का देश। दूसरा है रूस और उसके समर्थित देशों का संगठन। हालांकि यह कोई औपचारिक संगठन नहीं है। लेकिन रूस के साथ चीन खड़ा दिख रहा है। रूस, चीन और उत्तर कोरिया। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सक​ता है कि अमेरिका और उसके समर्थन वाले देश आस्ट्रेलिया, जापान मिलकर जंगी अभ्यास कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चीन भी रूस के साथ मिलकर प्रशांत महासागर में हजारों किलोमीटर की गश्त लगा रहा है।

बड़ी बात यह है कि इस इलाके में चीन के साथ रूस (China and Russia) भी संयुक्त रूप से गश्ती कर रहा है। यानी प्रशांत महासागर में चीन का साथ रूस दे रहा है, वहीं यूक्रेन की जंग में चीन परोक्ष रूप से रूस का साथ देता दिख रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कुछ महीने पहले रूस यात्रा और पिछले ही दिनों चीन के रक्षामंत्री की रूस यात्रा इस बात का बड़ा सबूत हैं कि चीन और रूस के बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को लेकर खिचड़ी पक रही है।

चीन और रूस के जंगी जहाजों ने इन इन समुद्री इलाकों में की गश्त

रूसी (China and Russia) युद्धपोतों ने चीनी नौसेना के साथ प्रशांत महासागर में कई हजारों किलोमीटर गश्त की। इस दौरान, दोनों देशों ने अमेरिका वेस्ट कोस्ट के पास संयुक्त अभ्यास भी किया। तीन सप्ताह से अधिक समय तक गश्त करने के बाद रूसी नौसेना के युद्धपोत वापस लौट आए हैं। रूस युद्धपोतों ने चीनी नौसेना के जहाजों की एक टुकड़ी के साथ जापान सागर, ओखोटस्क सागर, बेरिंग सागर और प्रशांत महासागर तक 7,000 मील यानी 13,000 किमी से अधिक की यात्रा की।

जिस इलाके में जापान से तनाव, उस इलाके से भी गुजरे

इस दौरान, टुकड़ी उत्तरी जापानी द्वीप होक्काइडो के पास भी होती हुई गुजरी। बता दें, होक्काइडो एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे रूस में कुरिल और जापान में उत्तरी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यह क्षेत्र पड़ोसियों के बीच दशकों से तनाव का केंद्र रहा है। इसके अलावा, रूसी-चीनी युद्धपोतों ने अलेउतियन द्वीप समूह का भी चक्कर लगाया। एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त की शुरुआत में 11 रूसी और चीनी जहाज अलेउतियन द्वीप समूह के करीब पहुंचे, जो अमेरिकी तटों तक पहुंचने वाला इस तरह का सबसे बड़ा बेड़ा था। वहीं, अमेरिका के अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह जहाज कभी भी अमेरिकी जलक्षेत्र में नहीं घुसे। गश्त के दौरान, संयुक्त पनडुब्बी रोधी और विमान रोधी अभ्यास किया गया।

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