China: चीन (China) हमेशा मौकों की तलाश में रहता है। जहाँ उसे मौका मिलता है वह अपनी साज़िशें करने के प्लान बनाने लगता है। बिना फायदे के यह देश कभी किसी से दोस्ती नहीं करता है। रूस-चीन के मौजूदा रिश्ते वैश्विक नजरों से छिपे नहीं है। हाल ही में शी जिनपिंग का मॉस्को दौरा बताता है कि दोनों देशों में दोस्ती गहराती जा रही है। विश्व के कई देशों की नजर इस अनोखे प्यार पर थी। हालांकि विदेशी मामलों के कई जानकारों ने कहा था कि ये सिर्फ मौकापरस्त दोस्ती ही साबित होगी। एक वक्त तो भारत की आंखें भी खटक गईं थीं। क्योंकि चीन (China) लगातार भारत पर अपनी बुरी नजर डालता रहता है। रूस और भारत के घनिष्ठ संबंध हैं, ऐसे में लग रहा था कि कहीं रूस चीन (China) का साथ न दे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। रूस ने साफ किया है कि भारत (India)उसका पुराना और विश्वसनीय दोस्त था, है और रहेगा। अब एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसके खुलासे ने बता दिया है कि आखिरकार चीन क्यों रूस के इतना करीब जा रहा है?
मॉस्को की तरफ से कई बार की गई चीन की तारीफ
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बदलती हुई वैश्विक स्थितियों के बीच चीन और रूस करीब आते गए। मॉस्को की तरफ से कई बार चीन की तारीफ की गई। चीन ने भी यूएन जैसे मंच में खुलकर रूस का समर्थन किया। हालांकि भारत ने मौके की नजाकत को समझते हुए उससे दूरी बना ली। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया है कि चीन की एक कंपनी ने रूस से 7.4 मिलियन डॉलर कीमत की कॉपर मिक्स एक धातु खरीदी है। चौंकाने वाली बात ये नहीं है, बात ये है कि ये धातु यूक्रेन की है। लेकिन यूक्रेन के जिस इलाके में इस धातु की माइनिंग हो रही है वो रूसी कब्जे में है।
यह भी पढ़ें: संकट में आया China का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, कई कंपनियां हुई बंद
कॉपर मिक्स मेटल को लेकर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी जानकारी सीमा शुल्क, कॉमर्स बिजनेस डेटा से मिली है। इस जानकारी को दो अन्य लोगों से क्रॉस चेक किया गया, जिसमें साफ पता चलता है कि 24 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन के जिन इलाकों में रूस का कब्जा है चीन की कंपनियों ने वहां से आयात किया है। एक डेटा के अनुसार Quzhou Nova नाम की चीनी कंपनी ने 8 अक्टूबर 2022 और 24 मार्च 2023 के बीच डेबाल्टसेव्स्की प्लांट से कुल 7.4 मिलियन डॉलर में 3,220 टन तांबे की मिक्सज मेटल खरीदे हैं।