हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की एक नई चाल से पर्दा फर्श हुआ है। खुलासा हुआ है कि चीन सैन्य उपयोग के लिए कंबोडिया में एक नौसैनिक फैसिलिटी का निर्माण करने में जुटा हुआ है। बीजिंग द्वारा बनाई जा रही ये इस तरह की दूसरी विदेशी चौकी है। इसमें डरने वाली बात यह है कि चीन इस नौसैनिक फैसिलिटी का निर्माण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कर रहा है। वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य मौजूदगी कंबोडिया के रीम नेवल बेस के उत्तरी हिस्से में होगी, जो थाईलैंड की खाड़ी में मौजूद है। पूर्वी अफ्रीकी देश जिबूती में नौसैनिक फैसिलिटी चीन का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा है।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नया सैन्य बेस चीन की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वो पूरी दुनिया में वैश्विक शक्ति बनने के लिए अपने सैन्य ठिकाने बनाना चाहता है। अमेरिकी अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि चीन एक ऐसी जगह पर अपना ठिकाना बनाना चाहता है जहां से वो क्षेत्र पर वो अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।
एक पश्चिमी अधिकारी ने कहा, हमने ये आंकलन किया है कि इंडो-पैसिफिक चीनी नेताों के लिए बेहद ज़रूरी है। चीनी नेता हिंद-प्रशांत में अपने दबदबे को अपना ऐतिहासिक अधिकार मानते हैं। यह कई धुव्रों वाली दुनिया में चीन के उत्थान को देखते हैं और अपने हितों को उस क्षेत्र में पुरजोर तरीके से आगे बढ़ाते हैं जहां वो अपना दबदबा समझते हैं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 2019 में लिखा था, चीन ने एक खुफिया समझौता किया जिससे वो इस ठिकाने का प्रयोग अपनी सेना के लिए कर सकता है। अमेरिका और उसके साथी अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है। हालांकि उस समय कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन और चीन के रक्षा मंत्री दोनों ने इस रिपोर्ट को मानने से मना कर दिया था। एक दूसरे अधिकारी ने द पोस्ट को बताया कि, हम पिछले कुछ समय से एक समान पैटर्न देख रहे हैं, जिसमें अंतिम लक्ष्य और चीनी सेना की संलिप्तता दोनों छिपाने की कोशिश की जाती है। मुख्य बात ये है कि इस ठिकाने का केवल वही प्रयोग करेंगे और उनका एक और देश में इकतरफा अधिकार वाला सैन्य बेस है।