चीन इस वक्त दुनिया के लिए सिर दर्द बना हुआ है। भारत, ताइवान, वियतनाम, टिब्बत, नेपाल, श्रीलंका के अलावा कई और देश हैं जो चीन से परेशान हैं। भारत में तो चीन की दाल नहीं गली…. उलटा उसे भारतीय जवानों ने ऐसा सबक सिखाया कि वो दूबारा उलझने की सोचेगा नहीं। लेकिन, बाकी के देश इससे कमजोर हैं और ये इसका पूरा फायदा उठाता है। टाइवान की बात करें तो ड्रैगन ताइवान पर अपना अधिकार जमाता रहता है। चीन का कहना है कि ताइवान उसी का हिस्सा है और वो इस पर कब्जा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। इन दिनों चीन की हरकतों को देखते हुए अमेरिका ने ताइवान का दौरा तेज कर दिया है। कई यूएस मंत्री यहां जा चुके हैं जिसपर चीन आग बबूला होता है और अमेरिका को धमकी देता रहता है। अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है कि, ड्रैगन यूक्रेन जंग में रूस की गलतियों से सीख लेते हुए घात लगा कर बैठा हुआ है और किसी भी वक्त ताइवान पर हमला कर सकता है।
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मॉस्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। ऐसे में चीन अगर ताइवान के खिलाफ सैन्य आक्रमण करता है तो चीन पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीजिंग को यह बेहतर तरीके से पता है कि ताइवान के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल करने के लिए चीन को आर्थिक नुकसान रूस से भी अधिक हो सकती है। हालांकि चीन का आर्थिक और वित्तीय भार रूस से काफी अधिक है लेकिन उसके बावजूद चीन को प्रतिबंध भारी पड़ सकता है। बता दें कि, पिछले कुछ सालों से दुनिया के कई देशों को ताइवान से सपोर्ट मिल रहा है। साथ ही ताइवान के लोगों के बीच भी जागरूकता पहले के मुकाबले बढ़ी है। जो चीन के लिए चिंता का कारण है।
इस वक्त अमेरिका ताइवान पर फोकस नहीं कर पा रहा है लेकिन, यूक्रेन संघर्ष के बाद यूएस वापस से ताइवान पर अपना ध्यान केंद्रित कर देगा। लेकिन, चीन यह मानता है कि ताइवान यूक्रेन नहीं है और अेमरिका ताइवान की रक्षा के लिए बल का इस्तेमाल करने के लिए अधिक इच्छुक है। रोपिर्टों की माने तो, ताइवान के लोग यह भी देख रहे हैं कि यूक्रेन को यूएस ने कैसे धोखा दिया है। ऐसे में ताइवान के लोग अमेरिकी मोहरा नहीं बनना चाहते हैं। जिस तरह से चीन ने रूस पर नजर रखी हुई है। ठीक उसी तरह यूक्रेन पर ताइवान ने भी नजर बनाई हुई है और कई सारे सीख ले रहा है।