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China में भारी उथल-पुथलः शी जिनपिंग के खिलाफ मंडारिन पब्लिक में आक्रोश- ये हो सकते हैं रिपब्लिक ऑफ चीन के प्रेसिडेंट

राष्ट्रपति जिनपिंग को सत्ता से उखाड़ फेंकने की तैयारी में जनता

शायद ही दुनिया में कोई ऐसा देश हो जिससे चीन की दुश्मनी न हो। कुछ ही देशों को छोड़ कर लगभग सारे देश चीन के खिलाफ हैं। इसके पीछे कारण है चीन के शी जिनपिंग सरकार की गलत नीतियां। शी जिनपिंग की गलत नीतियों के चलते खुद चीन की जनता भी परेशान है। अब एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया जा रहा है कि, चीन की जनता ने शी जिनपिंग को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस ली है। इसके साथ ही चीन के होने वाले नए पीएम का भी लगभग नाम तय हो गया है।

दरअसल, चीन की कम्युनिस्ट (सीपीसी) पार्टी की बीजिंग के समीप बीदायहे में हुई एक खास बैठक हुई। जिसके लेकर कई सारी बाते सामने आ रही है। पार्टी की ये बैठक अहम मसलों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में अगली पार्टी कांग्रेस (महाधिवेशन) के दौरान ऊंचे पदों के लिए होने वाले चुनाव का मसला हावी रहा। सीपीसी का सम्मेलन अक्तूबर में होने वाला है। इस हफ्ते हुई सीपीसी की बैठक के बाद एक नाम पर सबका ध्यान टिका है। ये कोई और नहीं बल्कि, उप प्रधानमंत्री हू चुनहुआ हैं। अक्तूबर की पार्टी कांग्रेस में उन्हें प्रधानमंत्री चुना जा सकता है। मौजूदा प्रधानमंत्री ली किचियांग घोषणा कर चुके हैं कि पार्टी कांग्रेस के बाद वे पद पर नहीं रहेंगे। हू चुनहुआ के बारे में माना जाता है कि वे शी जिनपिंग के खेमे के नहीं हैं। इसलिए अगर उन्हें प्रधानमंत्री चुना गया, तो इसे शी के लिए एक झटका समझा जाएगा।

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बता दें कि, हर साल बीदायहे में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की अनौपचारिक बैठक होती है। जिसमें औपचारिक फैसलों के पहले आपस में सहमति बनाने की कोशिश की जाती है। सीपीसी के अखबार 'पीपुल्स डेली' की ओर से कहा गया है कि, इस बैठक के बाद शी जिनपिंग लाओनिंग प्रांत चले गए। इशके पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री ली किचियांग ग्वांगदोंग प्रांत में एक बैठक में शामिल हुए।

चीन सरकार में राष्ट्रपति के बाद प्रधानमंत्री को सबसे महत्वपूर्ण पद समझा जाता है। इस तरह दोनों वरिष्ठ नेताओँ के बीदायहे बैठक से सबसे पहले चले जाने को महत्वपूर्ण संकेत माना गया है। वैसे तो माना जा रहा है कि, शी जिनपिंग तीसरी बाद राष्ट्रपति बनेंगे। लेकिन, हु चुनहुआ का चुनाव यह संकेत दे रहा है कि, अब शी पार्टी को अपनी मनमर्जी से नहीं चला पा रहे हैं। हू का संबंध पार्टी के उस खेमे से है, जिसके बारे में राय है कि शी जिनपिंग ने उसे किनारे कर रखा है।

इधर चीन की जनता शी जिनपिंग से वैसे ही परेशान है। कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में चीन की जनता सरकार के नीतियों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया था। चीन सरकार की जीरो कोविड-19 पॉलिसी ने कई लोगों की जान ले ली। कई हफ्तों तक लोग अपने ही घरों में कैद रहे। भूखे-प्यासे लोगों के पास सरकार की ओर से कोई प्रबंध नहीं किया गया था। जिसके बाद से आम जनता जबरन सड़कों पर सरकार के खिलाफ उतर आई थी। उधर हाल ही में चीन की सरकार ने जनता के बैंकों में जमा पैसों को सीज करते हुए ऐलान कर दिया वो अब अपने खातों से पैसे नहीं निकाल सकते। यहां तक कि चीन सराकर ने बैंकों के आगे टैंक खड़ा कर दिये थे। जिसके खिलाफ लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि लो खुद शी जिनपिंग से उब चुके हैं और वो एक अच्छे नेता की तलाश में हैं।