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Pakistan अपने पक्के दोस्त चीन के चक्कर में हुआ महाकंगाल? जानें ड्रैगन का कर्ज जाल वाला प्लान

चीन का पाकिस्तान को लेकर कर्ज जाल

दुनिया के कई छोटे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा कर चीन (China) यहां की अर्थव्यवस्था को काबू में करना चाहता है। ऐसे पाकिस्‍तान (pakistan) जो इस भयानक आर्थिक संकट में है एक बार फिर अपने दोस्‍त चीन की मदद हासिल कर काफी खुश है। 700 मिलियन डॉलर जो चीन की तरफ से पाकिस्‍तान के केंद्रीय बैंक की तरफ से जमा कराए जाने वाले हैं, उनकी मदद से विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। वित्‍त मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) ने खुद इस बात का ऐलान किया और कहा कि यह रकम इस हफ्ते स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्‍तान को यह रकम मिल जाएगी। चीनी कर्ज के बाद पाकिस्‍तान भले ही राहत की सांस ले रहा हो मगर अर्थव्‍यवस्‍था के जानकार इसे अच्‍छा फैसला नहीं बता रहे हैं। बता दें मुल्‍क कर्ज के उस दलदल में फंस रहा है जहां से निकलना बेहद मुश्किल है।

20 फीसदी बढ़ जाएगा मुद्रा भंडार

इस कर्ज के बाद पाकिस्‍तान का विदेशी मुद्रा भंडार 20 फीसदी तक बढ़ जाएगा चीन की तरफ से मिला कर्ज, कुल कर्जे का एक तिहाई हो चुका है। चीन की तरफ से 30 फीसदी कर्ज पाकिस्‍तान को दिया गया है और यह सबसे बड़ा कर्ज देने वाला देश बन गया है। इस वित्‍तीय वर्ष के बचे हुए आठ महीनों में पाकिस्‍तान को कुल आठ अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। अगले दो सालों के अंदर पाकिस्‍तान को 50 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना होगा। यह देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी जिससे पार पाना काफी मुश्किल हो सकता है।

जोखिम कम लेकिन बोझ बढ़ा

मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए भी चीनी कमर्शियल बैंकों से भी कर्ज लिया गया था। पाकिस्‍तान पर इस समय करीब 100 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। इसमें अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थाओं, कई देशों और विदेशी बैंकों का कर्ज शामिल है। जानकारों की मानें चीनी कर्ज अदायगी की सुविधा आर्थिक मोर्चे पर जोखिम को कम कर सकती है। मगर इसके साथ साथ दूसरे देशों और अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थाओं की तरफ से कर्ज का पुनर्निर्धारण भी काफी जरूरी है। ये जानकार मानते हैं कि पाकिस्‍तान के आर्थिक संकट की सबसे बड़ी वजह चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) भी है। इस प्रोजेक्‍ट के तहत में पाकिस्‍तान ने जो भी पैसा लिया वह कर्ज के तौर पर है।

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चीन कैसे कर्ज देता है?

चीन (China) पाकिस्‍तान को तीन तरह से कर्ज देता है। पहला कर्ज सीपीईसी के प्रोजेक्‍ट्स पर होता है। दूसरा कर्ज चीनी कमर्शियल बैंकों की तरफ से और तीसरा कर्ज चीन की पाकिस्‍तान के स्‍टेट बैंक में रखी गई जमाराशि है। सीपीईसी में दिए गए कर्जों के अलावा चीन के बैंकों में रखी जमाराशि आर्थिक संकट की सबसे बड़ी वजह है। चीनी कर्ज पाकिस्‍तान के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

ब्याज दर सबसे ज्‍यादा

चीनी कर्ज चुकाने में सबसे बड़ी बाधा वह कर्ज है विदेशी वित्‍तीय जरूरत के लिए लिया गया था। यह कमर्शियल बैंकों से लिया गया था। इन कर्जों को चुकाने की अवधि डेढ़ से दो साल की होती है जबकि कर्ज बहुत जल्‍द ही मैच्‍योर हो जाते हैं। यही सबसे बड़ी समस्‍या है। पाकिस्‍तान के कुल कर्ज में सबसे ज्‍यादा कर्ज चीनी है। चीन कर्ज को विदेशी मुद्रा में चुकाना होता है जबकि ये पाकिस्‍तानी रुपयों में हासिल होते हैं। इस वजह से भी काफी मुश्किलें पैदा होती हैं। चीन की तरफ से कर्ज वसूली भी सबसे ज्‍यादा ब्‍याज दर पर होती है। चीनी कमर्शियल बैंक 5.5 फीसदी से छह फीसदी तक की ब्‍याज दर पर कर्ज देते हैं।