चीन कितना बड़ा धोखेबाज है यह पूरी दुनिया जानती है। ड्रैगन एक ओर दूसरे देशों से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो दूसरी ओर पीठ में खंजर घोंपता है। चीन से लगे हर हर देश परेशान हैं। चीन जबरन उनके क्षेत्र में घुसकर अपना होने का दावा करता है। ड्रैगन उन्हें तक नहीं छोड़ता जो उनके लिए खास या फिर छोटे देश हैं। नेपाल को चीन ने जो 'मेड इन चाइना' निर्मित विमान दिए हैं उसकी खामियाजा नेपाल को इतनी ज्यादे भुगतना पड़ रहा है कि नेपाल एयरलाइंस कंगाल होते जा रहा है। जिसके बाद नेपाल ने ड्रैगन को करारा झटका दिया है।
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नेपाल एयरलाइंस ने चीन में बने छह विमानों का इस्तेमाल बंद कर दिया है क्योंकि इनका संचालन करने में कंपनी सक्षम नहीं थी। चीन की पहचान ही ऐसे देश के तौर पर है, जो खराब गुणवत्ता वाली चीजें बनाता है और इनका रखरखाव भी बहुत महंगा होता है। नेपाल एयरलाइंस कई बार यह दोहरा चुका है कि साल 2014 से 2018 के बीच में खरीदे गए चीन निर्मित विमानों की वजह से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और इसलिए वह इन विमानों को संचालन से हटाकर आगे किसी तरह के नुकसान से बचना चाहता है। साल 2020 में नेपाल एयरलाइंस के बोर्ड के सदस्यों ने यह फैसला लिया था कि छह साल पहले काठमांडू पहुंचे चीन के बनाए विमानों को अब वह नहीं उड़ाएगा।
नेपाल एयरलाइंस के पास कुल मिलाकर छह चीन विमान थे। इनमें से 2MA60 और 4YI2E थे। नेपाल को दोनों मॉडल के एक-एक विमान अनुदान में मिले थे। वहीं, दोनों सरकारों के बीच समझौते के तहत नेपाल ने चार विमान खरीदे थे। इनमें 1MA60 और 3Y12E शामिल हैं। हालांकि, नेपाल ने साल 2018 में एक दुर्घटना की वजह से एक Y12E विमान खो दिया था।
नेपाल के एक अधिकारी का कहना है कि, इन विमानों के संचालन में तकनीकी खराबी का सामना करना पड़ रहा है। इन विमानों को चलाने के लिए वेशेष कौशल पाले पायलटों की भी जरूरत है, जिनकी कमी है। चीन में पायलट हैं लेकिन भाषाई बाधाओं की वजह से नेपाल में पायलटों की ट्रेनिंग संभव नहीं है। इस मामले को लेकर नेपाल ने चीन से संपर्क करने कोशिश की लेकिन बीजिंग की ओर से कोई मदद नहीं मिली।
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चीन ने जो विमान नेपाल को दिए हैं वो बिल्कुल अलग तरह के हैं और उसके संचालन के लिए अलग ट्रेनिंग की जरूरत है। दर्लभ एयरक्राफ्ट होने के चलते इसके कल-पुर्जे का मिलना भी मुश्किल होता है। कई एयरक्राफ्ट्स में लगे कल-पुर्जों का वॉरंटी पीरियड भी खत्म हो चुका है। नेपाल एयरलाइंस ने ये विमान लोन पर खरीदे थे लेकिन उसी समय से एयरलाइंस इसका भुगतान करने में सक्षम नहीं है।