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ड्रगैन के घटिया हरकतों की खुली पोल, इतने हजार से अधिक उइगर मुसलमानों को बंद कर रखा है जेल में- देखें लीक डॉक्यूमेंट

China इतने हजार से अधिक उइगर मुसलमानों को बंद कर रखा है जेल में

चीन के दुनिया के न जाने कितने देश परेशान है। अकेले ड्रैगन ने कई देशों की नाकों में दम कर रखा है। कभी किसी की सीमा में जबरन घुस जाता है तो कभी ताइवान को कब्जा करने की बात कहता है। कभी समुद्र में तो कभी अपनी अन्य हरकतों के चलते ड्रैगन सुर्खियों में छाया रहता है। चीन से सिर्फ दुनिया के ही लोग नहीं बल्कि उसके अपने लोग भी परेशान है। उइगर मुसलमानों को लकेर दुनिया अच्छे से जानती है कि चीन इनके साथ क्या करता रहा है। अब एक नई लीक डॉक्यूमेंट में जो खुलासा हुआ है उससे ड्रैगन की हर ओर थू-थू हो रही है।

यह बात पहले भी सामने आ चुकी है कि, चीन शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुसलमानों को सर्विलांस पर रखा हुआ है। इनसे वो मजदूरी करवाता है। इन्हें न पढ़ने दिया जाता है और न ही नौकरी करने दिया जाता है। साथ ही यहां से निकलना भी इनका संभव नहीं है क्योंकि, यहां पर चीन ने आर्मी तैनात कर रखी है। इसके साथ ही इनपर लगातार चीन उत्पीड़न करता रहता है। कई रिपोर्टों में तो यह भी दावा किया जा चुका है कि, चीन उइगर मुसलमानों के गुर्दे, आंखें और अन्य शरीर के सामानों को बेच कर कालाबाजारी करता है। अब जो नई रिपोर्ट सामने आई है उसके मुताबिक, ड्रैगन ने चीन की जेलों में 10 हजार से अधिक उइगरों को कैद कर रखा है।

चीन द्वारा पहले से रिपोर्ट न किए गए डेटाबेस से लीक सूची के मुताबिक चीन के शिनजियांग क्षेत्र में 10 हजार से अधिक उइगरों को कैद किया गया है। यह रिपोर्ट न्यूज एजेंसी एएफपी ने दी है। शिनजियांग क्षेत्र चीनी कम्युनिस्ट अधिकारियों द्वारा बारीकी से संरक्षित है वहां कई डिटेंशन सेंटर और जेलों का एक सीक्रेट नेटवर्क है। रिसचर्स का मानना है कि दस लाख से अधिक उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों को वहां कैद करके रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक लीक हुई सूची में हर एक कैदी का नाम, जन्मतिथि, जातीयता, आईडी कार्ड, आरोप, पता, सजा की अवधि और जेल के बारे में जानकारी है। यह 2014-18 तक के आंकड़ों को दिखाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 'सामाजिक व्यवस्था को बाधित करने के लिए एक समूह को इकट्ठा करने चरमपंथ को बढ़ावा देने और मामला भड़काने सहित कई आरोपों के लिए सजा सुनाई गई है। यूरोपीयन देशों ने उइगरों के साथ ज्यादती को नरसंहार बताया है, लेकिन चीन इसे ट्रेनिंग सेंटर बताकर अपना बचाव करता रहा है।